ABC News: संघ लोकसेवा आयोग ने प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए सरकार द्वारा भेजे गए नामों के प्रस्ताव को लौटा दिया है. साथ ही पूछा है कि मुकुल गोयल को डीजीपी पद से क्यों हटाया गया. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक योगी सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग को इसका जवाब भी भेज दिया है. जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया है कि लापरवाही, अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार की वजह से मुकुल गोयल को हटाया गया. साथ ही कहा गया है कि प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है, ऐसे में सिर्फ वरिष्ठता ही चयन का आधार नहीं हो सकता, क्षमता भी जरुरी है.
सरकार की तरफ से जो जवाब भेजा गया है उसमें कहा गया है कि मुजफ्फरनगर दंगों के समय मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड आर्डर थे. उन्हें लापरवाही और अकर्मण्यता की वजह से हटाया गया था. इसके अलावा सहारनपुर के एसपी रहते हुए भी मुकुल गोयल सस्पेंड हुए थे. साथ ही पुलिस भर्ती घोटाले में भी उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. डीजीपी रहते हुए भी उनपर अकर्मण्यता के आरोप थे. 11 मई को सरकार ने मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटा दिया था. गौरतलब है कि योगी सरकार की तरफ से प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग को नामों की लिस्ट भेजी गई थी. जिसमें वरिष्ठता के आधार पर मुकुल गोयल का नाम भी शमिल था. इसी पर यूपीएससी की तरफ से सरकार से जवाब मांगा गया था. साथ ही प्रस्ताव को वापस लौटा दिया था. अब कहा जा रहा है कि सरकार अब आयोग से मांगी गई अतिरिक्त सूचनाओं के साथ नया प्रस्ताव भेजेगी. इस कवायद से स्थाई डीजीपी की नियुक्ति में और देरी होने की संभावना है. वर्ष 1988 बैच के आईपीएस डॉ. डीएस चौहान फिलहाल प्रदेश के डीजीपी का प्रभार संभाल रहे हैं.