नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, जानें महत्व, पूजन विधि और उपाय

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ABC NEWS: आश्विन माह शुक्ल पक्ष के शारदीय नवरात्र का आज से शुभारंभ हो गया है. इसे शक्ति प्राप्त करने वाली नवरात्र भी कहते हैं. नवरात्र में पहले दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं. सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था. अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया.

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

नवरात्र में मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. पान के एक पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करने से आपके जीवन की हर इच्छा पूर्ण हो सकती है. नवरात्र के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री की पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है.

देवी के पहले स्वरूप का पूजन

नवरात्र में सुबह और शाम दोनों वेला पूजा, आराधना और आरती करनी चाहिए. पहले नवरात्र पर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें. मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु बहुत प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें. सफेद बर्फी का भोग लगाएं और एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें.

इसके बाद मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें. ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें. अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें. ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे.

शैलपुत्री की पूजा के बाद करें ये उपाय

नवरात्र के पहले दिन दोपहर के समय लाल वस्त्र धारण करें. फिर देवी को लाल फूल और लाल फल अर्पित करें. आप ताम्बे का सिक्का भी अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद “ॐ दुं दुर्गाय नमः ” या ”ॐ शैलपुत्रये नमः” मंत्र का जाप करें. इसके बाद सूर्य के मंत्र “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” का कम से कम तीन माला जाप करें. इसके बाद तांबे का छल्ला धारण करें. ये उपाय करने से आपकी कुंडली में सूर्य प्रबल होगा.

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