मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, कथा, महत्व और मंत्र, जानें नवरात्र के दूसरे दिन की महत्वपूर्ण बातें

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ABC NEWS: आज 27 सितंबर को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. आज द्विपुष्कर योग बजा हुआ है जो सुबह 06 बजकर 16 मिनट से कल तड़के 02 बजकर 28 मिनट तक है. आज इस योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आपको फल दोगुना प्राप्त होगा. मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण करने वाली, एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला धारण करने वाली देवी हैं. वे अपने भक्तों को सही मार्ग दिखाती हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डाॅ. गणेश मिश्रा बता रहे हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, कथा, महत्व और मंत्र.

कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी?
राजा हिमालय के घर पुत्री स्वरूप में जन्मी माता पार्वती का ही दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी हैं. भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर साधना, जप और तप की. इस वजह से ही देवी का नाम ब्रह्मचारिणी है.

मां ब्रह्मचारिणी की कथा
एक बार नारद जी ने देवी पार्वती को उनके जन्म का उद्देश्य समझाया. तब माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति स्वरूप में पाने की प्रण लिया. इसके लिए वे घने जंगल में जाकर एक गुफा में रहने लगीं और शिव प्राप्ति के लिए कठोर तप और साधना में जुट गईं.

इन्होंने हजारों वर्षों तक भगवान शिव की पूजा की. उनको प्रसन्न करने के लिए आंधी, तूफान, मूसलाधार वर्षा, तेज धूप हर प्रकार की विकट परिस्थितियों का समाना किया. लेकिन वे अपने मार्ग से विचलित नहीं हुईं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता हे, उसे अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त होती है क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी ने अपने तप और साधना से शिव जी को प्रसन्न करके अपने उद्देश्य में सफल हुई थीं.

उनकी इस साधना को देकर ऋषि-मुनि भी आश्चर्यचकित थे. देवी ने कई साल तक बेलपत्र खाए, तो कभी शाक पर ही दिन व्यतीत किए. उन्होंने कई वर्षों तक उपवास और तप किया, जिसके कारण उनका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया.

शिव की साधना में लीन रहने वाली इस देवी ने कठोर ब्रह्चर्य के नियमों का पालन किया. उनकी इस जीवटता और दृढ़ निश्चय के कारण उनको मां ब्रह्मचारिणी कहा जाता है.

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति के अंदर हर तरह की परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है. उस व्यक्ति के अंदर संयम, त्याग, तप, जप आदि जैसे गुण भी आने लगे हैं.

मां ब्रह्मचारिणी पूजन मंत्र
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
आज नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें. उनको चमेली का फूल, अक्षत्, फल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. माता को सेब, पान का पत्ता, सुपारी, चनी और मिश्री का भोग लगा सकते हैं. पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का उच्चारण करते रहें. मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढ़ें और अंत में विधिपूर्वक मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें.

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