ABC NEWS: पंचांग के अनुसार आज यानि 25 मार्च को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है और नवरात्रि का चौथ दिन है. इसके अलावा आज विनायक चतुर्थी का भी व्रत रखा जाएगा जो कि विनायक यानि भगवान गणेश को समर्पित है. यह व्रत हर माह चतुर्थी तिथि के दिन ही रखा जाता है और इस दिन विधि-विधान से गणपति का पूजन किया जाता है. मान्यता है जिस भक्त पर गणपति की कृपा होती है उसके जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर होते हैं. कई लोग गणपति की कृपा पाने के लिए विनायक चतुर्थी का व्रत भी करते हैं. यहां पढ़ें विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा.
विनायक चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर किए जाते हैं. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य सफल होते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 14 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
विनायक चतुर्थी पूजन विधि
विनायक चतुर्थी के सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर मंदिर स्वच्छ करें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद उन्हें चंदन व सिंदूर व तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें. फिर लड्डूओं का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं. इसके बाद भगवान गणेश की अराधना करें. पूजा करते समय ‘सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥’ मंत्र का जाप अवश्य करें. कहते हैं कि इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. बता दें कि दिनभर व्रत रखने के बाद रात्रि के समय पूजा करके व्रत का पारण करें. ध्यान रखें कि इस व्रत में चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते.
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था. वह अपने परिवार का पेट पालने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाता था. किसी कारणवश उसके बर्तन सही से आग में पकते नहीं थे और वे कच्चे रह जाते थे. अब मिट्टी के कच्चे बर्तनों के कारण उसकी आमदनी कम होने लगी क्योंकि उसके खरीदार कम मिलते थे.
इस समस्या के समाधान के लिए वह एक पुजारी के पास गया. पुजारी ने कहा कि इसके लिए तुमको बर्तनों के साथ आंवा में एक छोटे बालक को डाल देना चाहिए. पुजारी की सलाह पर उसने अपने मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए आंवा में रखा और उसके साथ एक बालक को भी रख दिया.
उस दिन संकष्टी चतुर्थी थी. बालक के न मिलने से उसकी मां परेशान हो गई. उसने गणेश जी से उसकी कुशलता के लिए प्रार्थना की. उधर कुम्हार अगले दिन सुबह अपने मिट्टी के बर्तनों को देखा कि सभी अच्छे से पक गए हैं और वह बालक भी जीवित था. उसे कुछ नहीं हुआ था. यह देखकर वह कुम्हार डर गया और राजा के दरबार में गया. उसने सारी बात बताई. फिर राजा ने उस बालक और उसकी माता को दरबार में बुलाया. तब उस महिला ने गणेश चतुर्थी व्रत के महात्म का वर्णन किया.