ABC NEWS: कानपुर के यशोदा नगर से एक युवक को भिखारी गैंग ने अगवा कर लिया. इसके बाद उसकी दोनों आंखें फोड़ दी। हाथ-पैर तोड़ दिए. शरीर को कई जगह गर्म लोहे की रॉड से दागा. चापड़ से चेहरे में कई जख्म किए. इतनी यातनाएं दी गईं कि रूह तक कांप गई. घर लौटा तो परिवार के लोग भी उसे पहचान नहीं सके. ये किसी फिल्मी सीन की कहानी नहीं, बल्कि कानपुर से लापता युवक का दर्द है. जिसे भिखारी गैंग ने अगवा किया और उसका ये हाल कर दिया. नौबस्ता पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है.
ऐसी कहानी, जिस पर पुलिस वालों को भी भरोसा नहीं हुआ युवक से बातचीत पर आधारित यातनाएं सुनकर पुलिस अफसर भी सिहर उठे. पहले तो उन्हें पीड़ित की कहानी पर विश्वास ही नहीं हुआ. पीड़ित युवक के परिवार और पार्षद समेत सैकड़ों लोगों ने थाने का घेराव करके हंगामा किया. इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और एफआईआर दर्ज की. आखिर कोई इतनी यातनाएं कैसे दे सकता है. क्या सच में भिखारी गैंग शहर में इस तरह सक्रिय है.
यशोदा नगर कच्ची बस्ती S-ब्लॉक नाला रोड पर रहने वाले सुरेश मांझी ने बताया,”मैं दिहाड़ी मजदूर था. किदवई नगर लेबर मंडी पर 6 महीने पहले रोज की तरह काम की तलाश में खड़ा था. इस दौरान मछरिया गुलाबी बिल्डिंग के पास रहने वाला विजय नाम का व्यक्ति मजदूरी का काम का झांसा देकर अपने साथ ले गया था. उसने नशीला पदार्थ खिलाने के बाद हाथ-पैर पंजे के पास से तोड़ दिए और करीब 12 दिन मछिया के अपने घर में कैद रखा. इसके बाद दोनों आंखों में केमिकल डालकर अंधा कर दिया. मेरे शरीर को कई जगह जलाया और चापड़ से दाढ़ी के पास घाव कर दिया. इसके बाद मुझे झकरकटी पुल के नीचे किसी डेरे में रखा. वहां मुझे किसी महिला को बेचा गया था। फिर मुझे जहरीले इंजेक्शन लगाने के बाद कानपुर सेंट्रल स्टेशन से गोरखधाम नई दिल्ली एक्सप्रेस से किसी राज नाम के व्यक्ति को सौंप दिया गया. वो शायद उसी महिला का बेटा था जिसको विजय ने मुझे 70 हजार में बेच दिया था.
मुझे दिल्ली ले जाने के बाद रोज भीख मंगवाई जाती थी। रोज सुबह 4 बजे जगाने के बाद भीख मंगवाते थे और दिन में एक बार एक रोटी खाने को देते थे. इस तरह कई महीनों तक मुझे यातनाएं दी गईं। लगातार जहरीला इंजेक्शन देने से मेरे शरीर में इन्फेक्शन हो गया. दिल्ली निवासी जिन लोगों ने मुझे खरीदा था. उन लोगों ने मछरिया निवासी विजय से कहा कि मुझे इस लड़के के बदले दूसरा लड़का दो. हालत बिगड़ने पर मुझे वापस कानपुर सेंट्रल स्टेशन ले आए और दूसरी जगह बेचने की तैयारी करने लगे. मगर मेरी हालत और बिगड़ती चली गई। इसके बाद मुझे किदवई नगर लाकर छोड़ दिया. मैं कई दिनों तक सड़क किनारे बेहोशी हालत में पड़ा रहा. होश आने पर लोगों की मदद से अपने घर पर सूचना दी. परिवार के पास पहुंच सका.”