ABC NEWS: उन्नाव में एक परिवार पर लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेलने का आरोप लगा है. जानकारी के मुताबिक इस शख्स और उसके बेटों ने 169 रुपये में देवी की ऑनलाइन मूर्तियां मंगवाईं और उन्हें असीवान के महमूद गांव में एक खेत में दफना दिया. इसके बाद उसने प्रचार कर दिया कि खेतों से जुताई के दौरान प्राचीन मूर्तियां निकल रही है. देखते ही देखते लोगों की भीड़ जमा हो गई और चंदे के रूप में 70 हजार रुपये भी जमा हो गए.
परिवार ने कहा कि जिस जगह देवी की मूर्तियां निकली है वहां मंदिर बनेगा लेकिन उस परिवार के मंसूबे उस वक्त नाकाम हो गए जब अमेजन डिलिवरी ब्वॉय जिसने वो मूर्तियां डिलिवर की थी उसने सारी पोल-पट्टी खोलकर रख दी. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों- अशोक कुमार, उनके बेटे रवि कुमार और कपिल को हिरासत में लिया है. सर्कल अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि आरोपियों का सीआरपीसी की धारा 151 के तहत चालान किया गया है.
पंकज सिंह ने कहा- इस परिवार ने मिलकर भोले-भाले ग्रामीणों को ठगने की योजना बनाई. हमने मूर्तियों को भी हिरासत में ले लिया है और ग्रामीणों को पूरी साजिश के बारे में बताया है. उन्होंने बताया कि मूर्तियों को ऑनलाइन खरीदा गया और लोगों को मूर्ख बनाने के लिए दफनाया गया.
दरअसल दो दिन पहले अशोक कुमार ने दावा किया था कि बालाजी मंदिर में उनके दर्शन के बाद देवी सरस्वती उनके सपने में आईं और उन्हें खेत में एक निश्चित जगह खोदने के लिए कहा जिसके बाद वो मूर्तियों को ढूंढ लेंगे. कुमार ने अपने बेटों के साथ जाकर खेद की खुदाई की और सरस्वती, लक्ष्मी, एक रुद्राक्ष, एक बड़ी पीली चाबी और पीली धातु की मूर्ति को खेत से निकालकर जनता के सामने रख दिया. उन्होंने लोगों से कहा कि जहां ये मूर्तियां निकली है वहां मंदिर स्थापित किया जाना चाहिए.
एसएचओ असीवान अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि परिवार दावा कर रहा था कि मूर्तियां 500 साल से अधिक पुरानी हैं. उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सूचित किया. इस बीच अमेजन डिलिवरी ब्वॉय गोरेलाल ने पुलिस से संपर्क किया. गोरेलाल ने बताया कि वो डिलीवरी मैन के तौर पर काम करता है. उसने बताया कि उसने उन मूर्तियों को अशोक कुमार के बेटे रवि को दिया था जिसके बदले उसने उन्हें 169 रुपये का भुगतान भी किया था. जैसे ही पुलिस को इस बात की जानकारी हुई वैसे ही पुलिस पूछताछ के लिए अशोक कुमार के पास पहुंची लेकिन तबतक गांव वालों की भक्ति और श्रद्धा उन मूर्तियों पर आ चुकी थी. उन्होंने इसका विरोध किया। लोग मानने को तैयार ही नहीं थे कि मूर्तियाँ प्राचीन नहीं बल्कि ऑनलाइन खरीदी गई थी.
अशोक ने भीड़ को उकसाया और कहा कि पुलिस नहीं चाहती कि उस स्थान पर मंदिर बनाया जाए. पुलिसकर्मियों बाद में गांववालों को ऑनलाइन उपलब्ध मूर्तियों की तस्वीरें दिखाईं जिसके बाद गांव वालों को बात समझ में आई और इस तरह पुलिस ने अशोक और उसके बेटों को हिरासत में लिया.