ABC News: सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच से भरे टॉक शो और रिपोर्ट टेलीकास्ट करने पर टीवी चैनलों को जमकर फटकार लगाई. हेट स्पीच से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने बुधवार को यह बात कही. कोर्ट ने कहा कि यह एंकर की जिम्मेदारी है कि वह किसी को नफरत भरी भाषा बोलने से रोके. बेंच ने पूछा कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है. क्या यह एक मामूली मुद्दा है.
Hate speech: SC says role of TV anchors critical, asks why govt a mute spectator
Read @ANI Story | https://t.co/vBHwdyVwys
#HateSpeech #SupremeCourt #media pic.twitter.com/3Tp4OFEHKF— ANI Digital (@ani_digital) September 21, 2022
कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है, लेकिन TV पर अभद्र भाषा बोलने की आजादी नहीं दी जा सकती है. ऐसा करने वाले यूनाइटेड किंगडम के एक टीवी चैनल पर भारी जुर्माना लगाया गया था. कोर्ट ने कहा, “मेनस्ट्रीम मीडिया या सोशल मीडिया चैनल बिना रेगुलेशन के हैं. यह देखना एंकर्स की जिम्मेदारी है कि कहीं भी हेट स्पीच न हो. प्रेस की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है. उन्हें अमेरिका जितनी आजादी नहीं है, लेकिन यह पता होना चाहिए कि सीमा रेखा कहां खींचनी है.” नफरत फैलाने वाले शो दर्शकों को क्यों पसंद आते हैं, इस पर कोर्ट ने कहा कि किसी रिपोर्ट में नफरत से भरी भाषा कई लेवल पर होती है. ठीक वैसे, जैसे किसी को मारना. आप इसे कई तरह से अंजाम दे सकते हैं. चैनल हमें कुछ विश्वासों के आधार पर बांधे रखते हैं. लेकिन, सरकार को प्रतिकूल रुख नहीं अपनाना चाहिए. उसे कोर्ट की मदद करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच से राजनेताओं को सबसे ज्यादा फायदा होता है और टेलीविजन चैनल उन्हें इसके लिए मंच देते हैं. सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने कहा- चैनल और राजनेता ऐसी हेट स्पीच से ही चलते हैं. चैनलों को पैसा मिलता है इसलिए वे दस लोगों को बहस में रखते हैं. टीवी चैनलों की हेट स्पीच वाली रिपोर्ट वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी. कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह ये स्पष्ट करे कि क्या वह हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए विधि आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई करने का इरादा रखती है.