ABC News: भारत समेत दुनियाभर के पुरुषों का स्पर्म काउंट पिछले 45 साल में आधे से ज्यादा कम हो गया है. ‘ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट’ जर्नल की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. रिसर्च में शामिल वैज्ञानिक हेगाई लेविन का कहना है कि सबसे ज्यादा असर भारतीय मर्दों के स्पर्म काउंट पर भी देखने को मिल रहा है.
दुनियाभर में पुरुषों में स्पर्म काउंट और शुक्राणु एकाग्रता लगातार गिर रही है, जिसमें भारत भी शामिल है. ऑक्सफोर्ड अकैडमिक में छपी इस नई रिसर्च के मुताबिक, यह अध्ययन निकट भविष्य में होने वाले प्रजनन संकट की ओर इशारा करता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर शुक्राणु की सांद्रता का स्तर 40 मिलियन प्रति मिली लीटर से कम हो जाता है, तो यह प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. साथ ही प्रजनन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है. इससे पुरुषों में टेस्टीकुलर कैंसर के मामले भी बढ़ सकते हैं और जननांग जन्म दोष भी बढ़ सकते हैं. शोधकर्ताओं ने 53 देशों से 57 हज़ार पुरुषों का डाटा इकट्ठा किया, जिसमें भारत भी शामिल था. 223 शोध के डाटा का विश्लेषण किया, और शुक्राणुओं की संख्या पर लिखे गए 868 लेखों को भी पढ़ा. 1973-2018 के बीच औसत शुक्राणु एकाग्रता में 51.6 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसका मतलब यह हुआ कि औसत शुक्राणु एकाग्रता 101.2 मिलियन प्रति मिली लीटर से 49 मिलियन तक गिर गया है. साथ ही स्पर्म काउंट भी 62.3 फीसदी गिरा. 1970s के बाद से शुक्राणु एकाग्रता हर साल 1.16 फीसदी गिरना शुरू हुई, जो साल 2000 के बाद से 2.64 फीसदी गिरने लगी. इससे पहले भी साल 2017 में इसी पत्रिका ने 2017 में एक लेख प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था, टेम्पोरल ट्रेंड्स इन स्पर्म काउंट: ए सिस्टमैटिक रिव्यू एंड मेटा-रिग्रेशन एनालिसिस. इसमें दिखाया गया था कि कैसे 1981 और 2013 के बीच यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पुरुषों में स्पर्म काउंट के लगातार गिरावट आई है. यह गिरावट 50 फीसदी से ज़्यादा थी.
Disclaimer: यह लेख एक शोध पर आधारित है, इसे किसी प्रकार की सलाह के तौर पर न लें. अगर कोई परेशानी हैं तो हमेशा अपने चिकित्सक की ही सलाह लें