नए संसद भवन में स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा सेंगोल, जानें इसका महत्व

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ABC News: 28 मई को भारत के बहुप्रतीक्षित नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाएगा. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है. इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. उन्होंने एलान किया है कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित किया जाएगा.सेंगोल का मतलब संपदा से संपन्न होता है. अमित शाह ने बताया कि सेंगोल ने हमारे इतिहास में अहम भूमिका निभाई थी.

आजादी के समय अंग्रेजों ने सेंगोल को जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था. सेंगोल राजदंड अपने अधिकार के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. भारत सरकार ने सेंगोल राजदंड का उपयोग 1947 में भारत की आजादी के बाद से नहीं किया. सेंगोल इतिहास में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इससे पहले यह इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा था. नई संसद के उद्घाटन के दिन सेंगोल को परमानेंट तौर पर स्थापित कर दिया जाएगा. शाह ने कहा कि पीएम मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले सेंगोल प्राप्त करेंगे और वह इसे नए संसद भवन के अंदर रखेंगे. सेंगोल स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है. सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता. इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पण होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए अधीनम (तमिलनाडु के तंजौर जिले में स्थित धार्मिक मठ) से सेंगोल को स्वीकार करेंगे. उन्होंने बताया कि इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है. पीएम मोदी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने इस बारे में और जानकारी हासिल करने को कहा.

सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है. इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा. सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. अमित शाह ने बताया कि सेंगोल जिसे दिया जाता है उससे न्यायसंगत और निष्पक्ष शासन प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है. भारत की स्वतंत्रता के समय इस पवित्र सेंगोल को प्राप्त करने की घटना को दुनियाभर के मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया था. जानकारी के मुताबिक, भारत को स्वर्ण राजदंड मिलने के बाद कलाकृति को एक जुलूस के रूप में संविधान सभा हॉल में भी ले जाया गया था.

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