जजों की नियुक्ति में देरी पर SC की सख्त टिप्पणी, कही ऐसी बात, केंद्र ने भी दिया जवाब

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ABC News: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (3 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट को जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिश को जल्द मंजूरी देने का आश्वासन दिया. केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिश को जल्दी ही मंजूरी दी जाएगी. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ से कहा कि इन पांच नामों की नियुक्ति का आदेश (वारंट) जल्दी ही जारी होने की संभावना है.

पीठ ने हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रांसफर की सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से देरी किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, ”यह काफी गंभीर मुद्दा है.” पीठ ने कहा, “हमें ऐसा कदम उठाने के लिए बाध्य नहीं करें जो बहुत असहज होगा.” सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में पांच नामों की सिफारिश की गई थी और अब यह फरवरी है. पीठ ने कहा, “क्या हमें रिकॉर्ड करना चाहिए कि उन पांचों के लिए वारंट जारी किए जा रहे हैं? अगला सवाल है, कब?” वेंकटरमणी ने पीठ को आश्वासन दिया कि नामों की नियुक्ति का वारंट जल्द ही जारी होने की उम्मीद है. अटॉर्नी जनरल ने कहा, “मुझे बताया गया कि रविवार तक इसे जारी किया जा सकता है.” तबादले की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा, “हम किसी तीसरे पक्ष को इसके साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देंगे.” कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए पांच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी. पीठ ने कहा, “यदि ट्रांसफर आदेश लागू नहीं होते हैं, तो आप हमसे क्या चाहते हैं.” कोर्ट ने कहा, “हम उनसे न्यायिक कार्य वापस ले लें, क्या आप यही चाहते हैं?” पीठ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से कथित देरी से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी. इनमें राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी. वी. संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं. इसके बाद 31 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिये केंद्र को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार के नामों की सिफारिश की थी.

पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों के एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट में तबादले में देरी का सवाल ही नहीं उठता जबकि इसमें सरकार की भूमिका बहुत कम है. इसमें किसी भी देरी के परिणामस्वरूप प्रशासनिक और न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाई हो सकती है जो संभव है सुखद न हो. पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से एक नाम की सिफारिश की गई थी, लेकिन संबंधित न्यायाधीश 19 दिनों में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. पीठ ने पूछा, “आप चाहते हैं कि वह मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए बिना सेवानिवृत्त हो जाएं?” इसपर वेंकटरमणी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है और आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. बता दें कि, सभी पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के बाद, सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या 32 हो जाएगी. शीर्ष अदालत के लिए स्वीकृत न्यायाधीशों की कुल संख्या भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 है. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में 27 जज हैं.

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