यूपी की जेलों में बढ़ेगी छानबीन, गवाहों की सुरक्षा के लिए DGP ने जारी किए निर्देश

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ABC News: प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद सूबे की अलग-अलग जेलों में बंद माफिया अतीक अहमद गिरोह के कई करीबी भी जांच के घेरे में आ गए हैं. बरेली जेल में अतीक अहमद के भाई अशरफ की चौकसी बढ़ाए जाने के बाद गिरोह के कुछ अन्य सक्रिय सदस्यों की जेलों में हुई मुलाकातों की छानबीन भी शुरू की गई है. जेलों में जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. वहीं इस दुस्साहसिक वारदात के बाद डीजीपी मुख्यालय ने एक बार फिर गवाहों की सुरक्षा की चिंता जताई है. डीजीपी डॉ. डीएस चौहान ने साक्षी सुरक्षा योजना का कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है.

उमेश पाल की हत्या के मामले की छानबीन के दौरान एक के बाद एक नए तथ्य सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में बरेली जेल में बंद अशरफ से 11 फरवरी को मिलने वाले उसके करीबियों को लेकर भी पड़ताल के कदम बढ़ रहे हैं. एसटीएफ ने अतीक गिरोह के बीते दिनों जेल से बाहर आए कई सक्रिय सदस्यों की गतिविधियों की छानबीन भी तेज की है. उमेश पाल की हत्या की साजिश में कुछ अन्य अपराधियों के भी शामिल होने की आशंका है. इसे लेकर भी पड़ताल की जा रही है. यही वजह है कि अलग-अलग जेलों में बंद कुछ कुख्यातों से बीते दिनों मिलने पहुंचे लोगों के बारे में भी पड़ताल के कदम बढ़ रहे हैं. दूसरी ओर डीजीपी ने इस जघन्य वारदात के बाद गवाहों की सुरक्षा को लेकर विस्तृत निर्देश दिए हैं. कहा है कि साक्षी सुरक्षा योजना-2018 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए. सभी जिलों में जिला व शस्त्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में डीएम, अभियोजन अधिकारी व एसपी की स्टैंडिंग कमेटी गठित हैं. डीजीपी ने कहा है कि सभी जिलों में विटनेस प्रोटेक्शन सेल के कर्मियों व कार्याें की नियमित समीक्षा की जाए. इसके साथ ही विशेषकर एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन गंभीर अपराधों से जुड़े मुकदमों के गवाहों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्देश दिया है. साक्षी सुरक्षा योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने का निर्देश भी दिया है. डीजीपी ने जमीन संबंधी विवादों को लेकर भी विस्तृत निर्देश जारी किए हैं. कहा है कि भूमि संबंधी विवादों में पुलिस अनावश्यक हस्तक्षेप न करे. ऐसे प्रकरण थाने में आने पर स्थानीय कार्यपालक मजिस्ट्रेट व राजस्व विभाग के अधिकारियों को उसकी सूचना दी जाए. डीजीपी ने कहा है कि जिन भूमि विवादों में हिंसा अथवा विवाद की स्थिति हो, उन्हें चिह्नित कर भूमि विवाद रजिस्टर में दर्ज किया जाए. बीट स्तर पर इसका मूल्यांकन कराने के साथ ही निरोधात्मक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए.

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