ABC NEWS: भगवान गणेश के निमित्त आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है. आज के इस व्रत में भगवान गणेश के विघ्नराज अवतार की पूजा की जाती है. संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत 2 अक्टूबर यानी आज सुबह 07:36 बजे से हो रही है जिसका समापन अगले दिन यानी 3 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:11 बजे हो जाएगा. नारद पुराण में बताया गया है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर शाम के समय भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर, चंद्रमा के दर्शन करते हुए उन्हें अर्घ्य देना चाहिए और फिर अपना व्रत खोलना चाहिए. आईए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी व्रत : 2 अक्टूबर 2023, दिन सोमवार
विघ्नराज चतुर्थी तिथि का शुभारंभ : 2 अक्टूबर 2023, सुबह 07:36 बजे से
विघ्नराज चतुर्थी तिथि का समापन : 2 अक्टूबर 2023, सुबह 06:11 बजे तक
चंद्र उदय का समय : 2 अक्टूबर 2023, रात 08:05 बजे
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकल्प लें.
अब एक साफ लकड़ी की चौकी लेकर उसे पर एक स्वच्छ कपड़ा बिछाए और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
भगवान गणेश को जल से स्नान कराकर जनेऊ चढ़ाएं, वस्त्र धारण कराएं, इत्र लगाएं, फूल माला अर्पित करें, धूप, दीप अगरबत्ती जलाएं.
इसके बाद भगवान गणेश के समक्ष दूर्वा अर्पित करें.
अब नारियल और केले का भोग लगाएं. इसके अलावा आप भोग में मोदक और लड्डू भी चढ़ा सकते हैं.
इसके बाद भगवान गणेश के समक्ष आंखें बंद कर हाथ जोड़कर मन ही मन उनके मंत्रों का जाप करें.
अब संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनें और गणेश चालीसा का पाठ करें.
भगवान गणेश की विधि विधान से आरती कर पूजा में हुई भूल चूक की माफी मांग लें.
अब रात में चंद्रोदय के समय चंद्र देव की जल, फूल, चंदन और चावल अर्पित कर पूजा करें.
यदि बादल के कारण चंद्रमा के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं तो हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्रोदय के समय चंद्र देव की पूजा कर अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करें.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी