ABC News: प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले करोड़ों लोगों को जल्दी ही एक बड़ा झटका लगने वाला है. पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर को लेकर इसी महीने फैसला होने जा रहा है. ऐसी आशंका है कि पीएफ पर ब्याज को चालू वित्त वर्ष के लिए और कम किया जा सकता है. यह खबर इस कारण निराशाजनक है, क्योंकि अभी पहले से ही पीएफ पर 43 साल में सबसे कम ब्याज मिल रहा है.अभी ईपीएफओ के साढ़े छह करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.
वहीं अभी पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर कई दशकों के सबसे निचले स्तर पर है. ईपीएफओ ने 2021-22 के लिए पीएफ के ब्याज की दर 8.1 फीसदी तय की थी, जो 1977-78 के बाद पीएफ पर ब्याज की सबसे कम दर है. इससे पहले 2020-21 में पीएफ पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा था. फिस्कल ईयर 2020-21 में पीएफ के ब्याज की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया था. इससे ठीक एक साल पहले 2019-20 में इस ब्याज दर को 8.65 फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी किया गया था. अब बताया जा रहा है कि ईपीएफओ की बैठक 25-26 मार्च को होने वाली है, जिसमें ब्याज के बारे में निर्णय लिया जा सकता है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, पीएफ पर ब्याज को अब और घटाकर 8 फीसदी किया जा सकता है. खबर के अनुसार, अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे. इस कारण पीएफ पर ब्याज को ज्यादा कम करने की गुंजाइश नहीं है, लेकिन इसे पिछले साल की तुलना में घटाया जाना संभव है. अगर ऐसा होता है तो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोगों को सीधे तौर पर घाटा होने वाला है. बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ पीएफ खाताधारकों के खाते में जमा होने वाली रकम को कई जगहों पर इन्वेस्ट करता है. इस इन्वेस्टमेंट से होने वाली कमाई के एक हिस्से को ब्याज के रूप में खाताधारकों को रिटर्न दिया जाता है. अभी ईपीएफओ 85 फीसदी हिस्सा डेट ऑप्शंस में इन्वेस्ट करता है, जिनमें सरकारी सिक्योरिटीज और बॉन्ड भी शामिल हैं. बाकी के 15 फीसदी हिस्से को ईटीएफ में लगाया जाता है. डेट और इक्विटी से हुई कमाई के आधार पर पीएफ का ब्याज तय किया जाता है.