ABC News: सौरव गांगुली ‘दादा’ की जगह रोजर बिन्नी को बीसीसीआइ अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर बंगाल में सियासत शुरू हो गई है. सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा है. पार्टी के राज्यसभा सदस्य डा. शांतनु सेन ने कहा- ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कुछ महीने पहले ही सौरव के घर गए थे. खबर है कि सौरव से बार-बार भाजपा में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा रहा था. संभवत: उन्होंने भाजपा में शामिल होने पर असहमति जताई थी.
वह तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य बंगाल से भी हैं, इसलिए राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हो गए.’ सेन ने सवाल किया कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह बीसीसीआइ के सचिव बने रह सकते हैं तो सौरव अध्यक्ष क्यों नहीं? उधर, पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा-‘ऐसा लग रहा है कि भाजपा सौरव का अपमान करने की कोशिश कर रही है. इस मामले पर जवाब देने की जिम्मेदारी भाजपा की है.’ दूसरी तरफ, भाजपा ने तृणमूल के आरोप का खंडन किया है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा-‘हमें नहीं पता कि भाजपा ने कब सौरव को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की. वह क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज हैं. कुछ लोग बीसीसीआइ में बदलाव पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं. तृणमूल को हर मुद्दे का राजनीतिकरण बंद करना चाहिए.’ भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा-‘यह क्रिकेट की दुनिया से जुड़ा मामला है और क्रिकेट से जुड़े लोग ही इसपर टिप्पणी कर सकते हैं. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. तृणमूल को भाजपा पर हमला करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिला, इसलिए वह इसका राजनीतिकरण कर रही है.’ भाजपा सांसद लाकेट चटर्जी ने कहा-‘सौरव बंगाल के गौरव हैं. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. आने वाले दिनों में सौरव और ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे. जो लोग परिवार तंत्र की आलोचना कर रहे हैं, वे देखें कि पीसी-भाइपो (ममता बनर्जी-अभिषेक बनर्जी), मानिक भट्टाचार्य, अनुब्रत मंडल और परेश अधिकारी ने अपने परिवारों के लिए क्या किया है. भाजपा परिवार तंत्र में विश्वास नहीं करती.’