ABC NEWS: आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. इस दिन विधि विधान से व्रत रखते हैं और मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. माता पार्वती ने दुष्टों का संहार करने के लिए यह अपना रौद्र रूप धारण किया था. वैसे तो मां चंद्रघंटा शांत स्वभाव की देवी हैं. यह शेर पर सवारी करती हैं. इनकी 10 भुजाएं हैं, जिसमें कई प्रकार के अस्त्र शस्त्र सुशोभित होते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं मां चंद्रघंटा और उनकी आरती के बारे में.
मा चंद्रघंटा की कथा
शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हो गया तो माता पार्वती अपने मस्तक पर घंटे के समान चंद्राकृति धारण करने लगीं. माता पार्वती का ही सुहागन अवतार मां चंद्रघंटा हैं. एक दूसरी कथा के अनुसार जब महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया तो सभी देवता उसकी मंशा से डर गए.
वह स्वर्ग पर अधिकार के लिए युद्ध कर रहा था. तब इंद्र सेमत सभी देव भगवान विष्णु, महेश और ब्रह्माजी के पास गए. और महिषासुर के महत्वाकांक्षाओं से अवगत कराया. इससे त्रिदेव क्रोधित हो गए और उनसे एक ऊर्जा निकली, जो मां चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध हुईं. सभी देवताओं ने उनको अपने अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए, जिसके फलस्वरूप मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके उसके अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाई. इस वजह से यह देवी अपने भक्तों को साहस प्रदान करती हैं.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी, भक्त की रक्षा करो भवानी।