महाशिवरात्रि पर इन शिव मंदिरों में कहीं चढ़ता है जिन्दा केकड़ा तो कहीं बैंगन-झाड़ू, उठक-बैठक भी करते हैं भक्त

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ABC NEWS: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत ही खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. वैसे तो भारत में  12 ज्योतिर्लिंग समेत कई प्राचीन शिव मंदिर हैं, जिनका अपना इतिहास और पौराणिक मान्यता है. आज हम आपको उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत देश के ऐसे ही शिवालयों के बारे में बताएंगे, जहां लंबे समय से कुछ अनोखी परंपराएं चलती आ रही हैं.

1. गुजरात के रामनाथ शिव घेला मंदिर में चढ़ाया जाता है जिंदा केकड़ा 
गुजरात के सूरत (Surat, Gujrat) के रामनाथ शिव घेला मंदिर (Ramnath Shive Ghela temple) में शिवलिंग पर जिंदा केकेड़ा चढ़ाने की अनोखी परंपरा है. सदियों पुराने इस मंदिर की कहानी भगवान राम से भी जुड़ी है. कहते हैं इस शिवलिंग का निर्माण भगवान श्री राम ने अपने वनवास के दौरान की थी.

माना जाता है कि आदिकाल में जब मंदिर के स्थान पर समुद्र बहा करता था तभी एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद तब से लेकर आज तक केकड़े चढ़ाने की मान्यता चली आ रही है. यह भी मान्यता है कि  केकड़ा चढ़ाने से कान से जुड़ी किसी भी प्रकार बीमारी ठीक हो जाती है. हालांकि, यह परंपरा साल भर में केवल एक बार ही होती है. शायद देश का ये इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान को खुश करने के लिए जिंदा केकड़े चढ़ाए जाते हैं. शिवलिंग पर अर्पित करने के बाद इन्हें ताप्ती नदी में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है.

2. बिहार के इस शिव मंदिर में चढ़ता है बैंगन का चढ़ावा
बिहार के वैशाली जिले के अंडवाड़ा गांव में एक शिव मंदिर है. यह मंदिर बटेश्वरनाथ नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में भोलेनाथ को बैंगन का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचते हैं. भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के साथ ही बैगन चढ़ाते हैं. मान्यता है कि भक्त जो भी मनोकामना मानकर बैंगन चढ़ाते हैं, वह जरूर पूरी होती है. वहीं, मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त भोलेनाथ का शुक्रिया अदा करने आते हैं. अपने सामर्थ्य के अनुसार, भोलेनाथ पर 11, 21, 51 और 101 किलो बैंगन का भार चढ़ाते हैं. ये प्रथा दशकों से चली आ रही है.

3. प्रयागराज स्थित मंदिर में कान पकड़ कर उठक-बैठक करते हैं भक्त  
संगमनगरी प्रयागराज में भगवान शिव का एक अनोखा मंदिर है. यहां पर एक नहीं दो नहीं बल्कि 288 शिवलिंग स्थापित हैं. इसे प्रयागराज शिव कचहरी मंदिर कहा जाता है. यहां आने वाले शिव भक्त अपनी गलतियों को भोलेनाथ से कहने के बाद उठक-बैठक कर माफी मांगते हैं. यह मंदिर भगवान शिव की अदालत के रूप में जाना जाता है.

4. मुरादाबाद स्थित इस मंदिर में शिव जी को चढ़ाई जाती है झाड़ू 
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में बीहाजोई गांव में प्राचीन पतालेश्वर शिव मंदिर है. इस मंदिर की एक अनोखी प्रथा है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाता है. दरअसल, यहां दूध, जल और फल के साथ-साथ भक्त भोलेनाथ को सींक वाली झाड़ू चढ़ाते हैं. भक्तों की मान्यता है कि झाड़ू चढ़ाने से भोलेनाथ खुश हो जाते हैं. इससे त्वचा संबंधी सभी रोगों से छुटकारा मिल जाता है.

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, इस गांव में भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था, जो बहुत धनी था. उसे त्वचा संबंधी एक गंभीर रोग था. एक दिन वह इस रोग का इलाज करवाने जा रहा था कि अचानक से उसे प्यास लगी. तब वह इसी मंदिर में पानी पीने आया. इस दौरान वह मंदिर में झाड़ू लगा रहे महंत से टकरा गया. इससे बिना इलाज ही उसका रोग दूर हो गया. जिससे वह बेहद खुश हो गया और महंत को धन देना चाहा. महंत ने धन लेने से इनकार कर दिया और इसके बदले सेठ से यहां मंदिर बनवाने को कहा. तभी से इस मंदिर में त्वचा रोग से मुक्ति पाने के लिए झाड़ू चढ़ायी जाने लगीं. इसलिए आज भी श्रद्धालु यहां आकर झाड़ू चढ़ाते हैं.

5. राजस्थान में मूर्ति चोरी करने की अनोखी परंपरा 
राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी जिले (bundi) के हिंडौली कस्बे में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान महादेव अक्सर बिना माता पार्वती के नजर आते हैं. इसके पीछे इस शिव मंदिर से एक जुड़ी एक अनोखी परंपरा है. दरअसल, मान्यता है कि जिस किसी भी युवक की शादी में अड़चनें आ रही हो वह अगर माता पार्वती की मूर्ति चोरी करके ले जाए तो उसकी शादी जल्द हो जाती है. मूर्ति चोरी के लिए कोई मुकदमा नहीं लिखा जाता है. शादी होने के बाद मूर्ति चोरी करने वाले युवक मंदिर में वापस माता को विराजमान कर देते हैं. पुजारी के मुताबिक, साल में एक या दो महीने ही माता पार्वती की मूर्ति मंदिर में रह पाती है.

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