ABC NEWS: हिंदू पंचांग के मुताबिक एक साल में करीब 24 एकादशी होती हैं. इनमें से निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है. इस दिन निर्जला व्रत रखकर लोग कथा सुनते हैं.
ये एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है. मान्याताओं की मानें तो इस दिन व्रत रखने से सालभर की एकादशी का फल मिलता है. इस साल निर्जला एकादशी 31 मई को मनाई जाएगी. इस दिन बिना अन्न और जल के लोग व्रत रखते हैं और विधि विधान से पूजा कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं.
इस व्रत का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है. कथाओं में इस बात का वर्णन है कि इस व्रत को पांडवों में भीमसेन ने रखा था, जिसके चलते इसे भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर भीम ने क्यों रखा था निर्जला एकादशी का व्रत.
भीमसेन ने क्यों रखा था निर्जला एकादशी का व्रत-
पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार रचयिता महर्षि वेदव्यास भीम के महल में आए थे. इस दौरान महर्षि वेदव्यास से भीम ने कहा हे मुनिश्रेठ आप तो सब जानते हैं. आपको तो पता है कि मेरे परिवार में सभी एकादशी का व्रत रखते हैं, लेकिन मझे अधिक भूख लगने के कारण मैं हर महीने एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ हूं ऐसे में आप मुझे बताएं कि मैं ऐसा क्या करूं,जिससे मुझे एकादशी जितना ही फल प्राप्त हो.
ऐसे में रचयिता महर्षि वेदव्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का सुझाव दिया. महर्षि ने कहा हे भीमसेन तुम्हारी इस समस्या का समाधान है मेरे पास. तुम निर्जला एकादशी का व्रत रखो. इस व्रत में साल में केवल एक दिन भूखे प्यासे रहना पड़ता है और इस व्रत में तुम्हें पूरे साल की सभी एकादशियों का फल मिलता है.
इसके बाद भीमसेन ने महर्षि की बात मानकर एकादशी का व्रत किया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई. तभी से इस एकदशी को भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी कहा जाता है. कहते हैं इसे करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कब पड़ रही है निर्जला एकादशी-
इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 मई मंगलवार को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 31 मई बुधवार को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार इसका व्रत 31 को किया जाएगा.