Kanpur: कुछ ऐसा है किसान नेता से करौली बाबा बनने का सफर, इतने एकड़ में फैला आश्रम, जानें सबकुछ

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ABC News: कानपुर में सोमवार को करौली सरकार आश्रम के बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर FIR दर्ज हुई. नोएडा में रहने वाले डॉ. सिद्धार्थ ने आश्रम में मारपीट का आरोप लगाया है. इस घटना के बाद पड़ताल में चौंकाने वाली कहानी सामने आई. स्थानीय लोग बताते हैं कि संतोष सिंह भदौरिया शहर में एक सामान्य आदमी थे. साल 2003 के पहले वह शिवसेना के नेता थे. हालांकि 2003 के बाद उन्होंने किसान यूनियन जॉइन कर लिया.

2003 से 2010 तक किसान यूनियन से जुड़े रहे. मगर, उनकी जिंदगी ने अचानक यू-टर्न लिया. इसके बाद संतोष सिंह साल 2010 में बाबा बन गए. आज उनके पास करोड़ों की लग्जरी गाड़ियां, कोठी, सुरक्षाकर्मी और कई बीघों में फैला आश्रम है. इतना ही नहीं, बाबा के देश-विदेश में लाखों भक्त और फॉलोअर्स हैं. करीब 14 एकड़ में फैला यह आश्रम अपने आप में एक शहर जैसा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा संतोष सिंह भदौरिया का नाम यहां के लोगों के लिए नया नहीं है. साल 2010 तक संतोष सिंह के पास कुछ नहीं था. किसान यूनियन की राजनीति करते थे. लेकिन, अचानक से वह आयुर्वेदाचार्य बन गए. डीएम आवास के सामने पद्म टावर में उन्होंने एक फ्लैट लिया. यहां वह लोगों की पीठ पर लेप लगाकर रीढ़ की हड्‌डी से जुड़ी बीमारियों को ठीक करते थे. साल 2012 में संतोष सिंह भदौरिया ने करौली में अपने बेटों के नाम पर लव-कुश आश्रम शुरू किया. यहां बाबा का तंत्र-मंत्र इतना सफल हुआ कि देखते-देखते रोजाना सैकड़ों और फिर हजारों की भीड़ लगनी शुरू हो गई. अब उनके यहां पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों से आने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

यहां तक कि विदेश से भी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. इसके बाद धीरे-धीरे संतोष सिंह भदौरिया ‘करौली सरकार’ बन गए. अब FIR दर्ज होने के बाद लोगों ने संतोष भदौरिया के खिलाफ बोलना शुरू किया है. वहीं, दूसरी तरफ पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बाबा संतोष सिंह भदौरिया मेडिकल साइंस को भी चुनौती देते हैं. वह मेडिकल साइंस को कुछ भी नहीं मानते हैं. वह आश्रम में आने वाले गंभीर से गंभीर रोगों का तंत्र-मंत्र से इलाज करते हैं. कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव जब एम्स में भर्ती थे, तो उन्होंने चैलेंज करते हुए कहा था कि एम्स, फेम्स, डेम्स क्या होता है? मेरे पास लाइए, मैं राजू को ठीक कर दूंगा. उस समय भी वह अपने राजू वाले बयान को लेकर चर्चा में आए थे. उनका कहना है कि मेडिकल साइंस से आगे ईश्वरीय शक्ति है. इसके जरिए वह इलाज करते हैं. बीमारी से जूझ रहे भक्त उनके सामने खड़े होते हैं. वह दूर से ही ‘ओम शिव बैलेंश…चीरा लगाया जाए, लेप लगाया जाए और अब इनके अंदर से बुरी शक्तियों का नाश हो…’ यह कहकर लोगों का इलाज करते हैं. गांव के लोगों ने बताया, “बाबा ने पहले कुछ बीघे में अपना आश्रम बनाया था. लोगों की भीड़ बढ़ती गई और बाबा ने चंद साल में ही गांव में आसपास की 100 बीघे से ज्यादा जमीन आश्रम के नाम करा ली. एक तरीके से पूरे करौली में बाबा का एकाधिकार हो गया है.

बाबा के काफिले में लग्जरी गाड़ियां और भारी सिक्योरिटी रहती है. शहर के रेव थ्री के पास बाबा की आलीशान कोठी भी बनी है. यहां पर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं. करौली गांव में जब भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हुई, तो आश्रम में बने कमरे कम पड़ने लगे. इसके बाद गांव वालों ने अपने घरों के कमरों को होटल की तरह बनाकर किराए पर देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते गांव के लगभग सभी घरों में होटल की तरह कमरे बन गए. यही वजह है कि अब गांव के लोगों के लिए आश्रम भी इनकम का जरिया बन गया है. आश्रम में एक-दो नहीं, 200 से ज्यादा CCTV लगे हुए हैं. CCTV का कंट्रोल रूम अलग से बना हुआ है. कंट्रोल रूम से ही वहां का स्टाफ आश्रम में आने-जाने वाले लोगों पर पूरी नजर रखता है. मामले की जांच कर रही बिधनू पुलिस ने अब CCTV की मदद से मामले की जांच शुरू कर दी है. आश्रम में आने के बाद सबसे पहले 100 रुपए में रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद 100 रुपए बंधन का चार्ज लगता है. बंधन यानी कमर पर सफेद धागा बांध दिया जाता है. इसे हर तीन महीने में रिन्यू भी कराना होता है. इसके बाद 100-100 रुपए की दो अर्जियां दोनों दरबार के लिए लगती हैं. साथ ही उन्हें 8वें और 9वें दिन के हवन में शामिल होना होता है. इसके लिए करीब 6200 रुपए लगते हैं. यानी यहां आने वाले हर शख्स को कम से कम 6600 रुपए तो खर्च करने ही होंगे. अगर कोई यहां हवन करना चाहता है, आश्रम की तरफ से 3500 रुपए का एक हवन किट मिलता है. आपको कम से कम 9 हवन करने ही होंगे. यानी हर दिन के लिए एक किट खरीदनी होगी. जिसका खर्च 31,500 रुपए आएगा.

अगर आप 9 दिन तक आश्रम में रुकते हैं और खाना-पीना करते हैं तो उसका खर्च अलग से करना होगा. जो लोग हवन नहीं करना चाहते, वे अर्जी लगाने के बाद लौट जाते हैं. इसे नमन प्रक्रिया कहा जाता है. यह खर्च व्यक्तिगत है. अगर आप परिवार के साथ आते हैं तो हर सदस्य के लिए रजिस्ट्रेशन, बंधन और अर्जियां लगेंगी. जो लोग 9 दिन हवन नहीं कर सकते या जिन्हें जल्दी इलाज चाहिए. उनके लिए एक दिन का भी विकल्प है. इसका खर्च 1.51 लाख रुपए तक आता है. इसमें हवन के साथ कई पंडित मिलकर रुद्राभिषेक और पूजा-पाठ कराते हैं. बाबा ब्लैक मैजिक यानी काला जादू से भी छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं. इसके लिए 2100 रुपए फीस देनी होती है. इसके अलावा वे आरोग्य हवन भी कराते हैं. इसके लिए 21 हजार रुपए लगते हैं. वहीं, बाबा संतोष सिंह भदौरिया ने FIR दर्ज कराने वाले नोएडा के डॉ. सिद्धार्थ के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उनका कहना है कि वह इस नाम के किसी डॉक्टर को जानते ही नहीं हैं. आश्रम में इस तरह की कोई मारपीट या घटना ही नहीं हुई है. सनातन को बदनाम करने के लिए उनके ऊपर निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं. उधर, ACP घाटमपुर दिनेश शुक्ला ने बताया, “आश्रम में जाने वाले नोएडा निवासी डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी की तहरीर पर FIR दर्ज की गई है. शरीर में लगे चोट का एक वीडियो भी उन्होंने पुलिस को दिया है. मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही मामले में आरोपी बाबा और उनके समर्थकों के खिलाफ साक्ष्य पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.”

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