Kanpur: रामायण कॉन्क्लेव में बोले विद्वतजन- प्रभु राम का चरित्र ही बनाएगा सामर्थ्यवान

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ABC News: छत्रपति शाहू जी महराज विश्वविद्यालय में शुरू हुई दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव में परिचर्चा के साथ विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. कॉन्क्लेव का शुभारंभ विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने किया. इस दौरान जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने वर्चुअल माध्यम से प्रभु राम से जुड़े प्रसंगों को सुनाकर उनसे सीख लेने की नसीहत दी.

रामायण कॉनक्लेव के शुभारंभ पर सीएसजेएमयू और अयोध्या शोध संस्थान के बीच एक एमओयू भी साइन किया गया. विभिन्न परिचर्चाओं के बीच बाल्मिकी के राम विषय पर संगोष्ठी भी आयोजित हुई. इस संगोष्ठी में बोलते हुए मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के चरित्र से सीख लेते हुए भावी पीढ़ी को सामर्थ्यवान बनाने की बात कही. यहां पर इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजीकल साइंसेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश चिंतक ने कई मुद्दों पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि शिक्षा और विद्या दोनों अलग अलग हैं. शिक्षा वह है जो हमें आजीविका देती है और विद्या वह है जो आत्मा का परमात्मा से मिलन कराती है और आत्मा का परिष्कार करती है. उसे उर्घ्वगामी बनाती है. विद्या अदृश्य में छलांग लगाती है और हमे पारलौकिक जगत से जोड़ती है. जबकि शिक्षा लौकिक जगत की बातें सिखाती है. उन्होंने विद्यालय की जगह शिक्षालय शब्द पर जोर देते हुए कहा कि यह सब शिक्षा के केंद्र हैं विद्या कि नहीं. पुराने समय में गुरुकुल विद्या के केंद्र होते थे, इसलिए वहां से निकले विद्यार्थी आध्यात्मिक चेतना से भरपूर होते थे. उन्होंने इस बात को सुखद एहसास बताया कि अब गीता और रामायण जैसे आध्यात्मिक चेतना के ग्रंथों पर विश्वविद्यालयों में परिचर्चाएं हो रही हैं. इसे शुभ लक्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि ज्योतिर्विज्ञान के सामान्य विद्यार्थी जानते हैं कि कोई तारा पृथ्वी से छोटा नहीं है, बल्कि कई तारे तो सूर्य से भी कई गुना बड़े हैं किंतु पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में छोटे बच्चों को विद्यालय में ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार रटाया जाता है. यदि कोई बच्चा इस बात का विरोध करे कि कोई स्टार लिटिल नहीं है तो सच होते हुए भी उस बच्चे की बात नहीं सुनी जाएगी और उसे जॉनी जानी यस पापा कह कर बहला दिया जाएगा.

यहां पर स्वामी मिथिलेश नंदनी ने भी रामायण के विभिन्न पहलुओं का मर्म समझाया. परिचर्चाओं के साथ ही यहां पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए. यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं ने प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान की भूमिका में सज कर लोगों के सामने अभिनय प्रस्तुत किया. शाम को भक्ति संगीत व भजन संध्या का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम में कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, विशिष्ट अतिथि विजय नारायण तिवारी, निदेशक लव कुश द्विवेदी समेत अन्य लोग मौजूद रहे.

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