Kanpur: सतीश महाना की बैठक पर पचौरी का तंज, बोले- बैठकों से नहीं होता विकास

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ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) भारतीय जनता पार्टी में कानपुर के दो बड़े नेताओं के बीच जारी द्वंद कम होता नहीं दिख रहा है. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की तरफ से बुलाई गई बैठक को लेकर सांसदों की नाराजगी काफी चर्चा का विषय बनी. सियासत में चर्चा बनी यह पुरानी अदावत एक बार फिर गर्म होकर सतह पर आ चुकी है. विधानसभा अध्यक्ष की बैठक के अगले ही सांसद सत्यदेव पचौरी सड़क पर दिखे. जब बैठक को लेकर सवाल किया गया तो पहले तो नो कमेंट बोला लेकिन अगले ही पल कह दिया कि बैठकों से विकास नहीं होता है.

दरअसल, शहर के समग्र विकास को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की बैठक को लेकर सांसद सत्यदेव पचौरी ने मोर्चा खोला था और कमिश्नर को पत्र भेजकर सवाल खड़े किए थे. पचौरी के समर्थन में सांसद देवेंद्र सिंह भोले और अशोक रावत भी कूद पड़े. इन सबके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने न केवल शहर के विकास की योजनाओं पर बैठक की बल्कि यह भी दो टूक कहा कि विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते उनके पास सभी अधिकार हैं. माना जा रहा है कि महाना ने परोक्ष रूप से बैठक पर सवाल उठाने वाले अपनी ही पार्टी के सांसदों को साफ संदेश दे दिया. इस बैठक के 24 घंटे बीतते ही सांसद सत्यदेव पचौरी सड़क पर निकले और आनंदेश्वर मंदिर कॉरीडोर प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने परमट पहुंच गए. यहां पर उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार में जितनी योजनाएं कानपुर को मिली हैं, उतनी किसी की सरकार में नहीं. पचौरी ने जब बैठक को लेकर पूछा गया तो पहले तो वह नो कमेंट कहते रहे लेकिन आखिर में अदावत का वह सुर भी सामने आ गया, जो काफी देर से वह दबाए बैठे हुए थे. पचौरी ने भी दो टूक लहजे में कहा कि विकास योजनाओं से होता है, बैठकों से नहीं. पचौरी के इस वाक्य को सियासी हलकों में विधानसभा अध्यक्ष महाना का जवाब माना जा रहा है.

कहीं इस वजह से तो नहीं छिड़ी अदावत
दरअसल, विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत पाए सतीश महाना इस बार यूपी मंत्रिमंडल में बड़े ओहदे के दावेदारों में थे लेकिन योगी सरकार 2.0 में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद से ही चर्चा थी कि लोकसभा चुनावों में संभवत: सतीश महाना, कानपुर में पार्टी के चेहरे हो सकते हैं. इसके अलावा पार्टी की 70+ वाली जो पॉलिसी है, उसको लेकर न केवल वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी बल्कि देवेंद्र सिंह भोले को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में भाजपा की राजनीति में ठंडी हो चुकी पुरानी अदावत एक बार फिर से गर्म होकर सामने आ गई है.

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