ABC News: कानपुर देहात के मड़ौली गांव में कार्यरत हत्यारोपी लेखपाल अशोक बिना रुपये लिये कोई काम नहीं करता था. ग्रामीणों को आवास का रुपया मिलने के बाद भी जब तक अपना कमीशन नहीं ले लेता, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं करने देता था.
यह आरोप ग्रामीणों ने लगाया है. चार दिन पहले एक जमीन के मामले में कमीशन को लेकर लेखपाल की प्रधान से झड़प भी हुई थी. ग्रामीणों ने बताया कि लेखपाल स्तर से होने वाले हर काम में से कमीशन चाहिए होता था. आवास के लिए पात्रता सूची में नाम शामिल करने को पांच हजार रुपये लेता था. वहीं, नहीं देने पर सूची में नाम अपात्र दिखाकर नाम काट देता था. साथ ही अगर गांव की जमीन किसी को बेची जाए तो उसमें भी अपनी रिपोर्ट लगाने के लिए रुपयों की मांग करता था. मड़ौली गांव के प्रधान मान सिंह ने बताया कि प्रीतमपुर गांव में चार दिन पहले एक व्यक्ति का जमीन पर पट्टा था. वहां पर पट्टाधारक ने आवासीय शटरिंग लगवाई थी. उन्होंने बताया कि चार दिन पहले लेखपाल अशोक पहुंचा और काम रूकवा दिया. जानकारी होने पर प्रधान पहुंचे और विरोध जताया तो दोनों आपस में झगड़ गए. इसके बाद वहां से लेखपाल चला गया. इसकी शिकायत प्रधान ने राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला से की. इस पर मंत्री ने एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर से लेखपाल को हटाने की बात कही थी, लेकिन एसडीएम ने मंत्री की बात को भी नकार दिया. प्रधान ने बताया कि गांव के चार लोगों का पीएम आवास योजना के तहत रुपये आया था, लेकिन लेखपाल पात्र लोगों से रुपये मांग रहा था. इसके बिना उनका मकान नहीं बनने दे रहा था. प्रधान मान सिंह ने बताया कि प्रमिला और उसकी बेटी नेहा की हत्या की पूरी कहानी लेखपाल ने सुनियोजित तरीके से की थी. लेखपाल ही मुख्य आरोपी है. उन्होंने बताया कि लेखपाल का काम गांव के लोगों को पसंद भी नहीं था.