ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रारंभ: जानें कब है विनायक चतुर्थी, गंगा दशहरा, भीमसेनी एकादशी, प्रदोष, पूर्णिमा व्रत?

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ABC NEWS: ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष 20 मई दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है. इस दिन ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा तिथि है. ज्येष्ठ माह में जल की पूजा का महत्व है. जल से जुड़े हुए दो बड़े पर्व और व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आते हैं. ज्येष्ठ माह में जल की पूजा और जल का दान विशेष महत्व रखता है. इस माह में सूर्य का तेज अधिक होता है, इसलिए जल का दान करते हैं. पशु और पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करते हैं. ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी, स्कंद षष्ठी, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी, गुरु प्रदोष और ज्येष्ठ पूर्णिमा जैसे व्रत और पर्व आने वाले हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि ये व्रत और त्योहार कब और किस दिन हैं. इनका महत्व क्या है.

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष 2023 व्रत और त्योहार
20 मई, दिन-शनिवार: ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष प्रारंभ
20 मई से ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का प्रारंभ हुआ है. इस पक्ष में भगवान विष्णु, भगवान शिव, मां गंगा, भगवान कार्तिकेय, विघ्नहर्ता श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा होगी.

23 मई, दिन-मंगलवार: ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी
इस माह की विनायक चतुर्थी का व्रत 23 मई मंगलवार को है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत होता है. इस दिन भगवान गणपति की पूजा करते हैं. इस व्रत में चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित है. विनायक चतुर्थी की पूजा दिन में संपन्न कर ली जाती है.

25 मई दिन-गुरुवार: स्कंद षष्ठी
ज्येष्ठ माह की स्कंद षष्ठी 25 मई गुरुवार को है. हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखते हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं. इस व्रत को करने से आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है. भगवान कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार कहते हैं. यह व्रत दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है.

30 मई, दिन-मंगलवार: गंगा दशहरा
इस साल गंगा दशहरा 30 मई मंगलवार को है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन को गंगा अवतरण दिवस भी कहते हैं. गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा करने, गंगा स्नान करने और दान करने का विधान है. इससे पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है.

31 मई, दिन-बुधवार: भीमसेनी एकादशी या निर्जला एकादशी व्रत
भीमसेनी एकादशी 2023: भीमसेनी एकादशी को निर्जला एकादशी भी कहते हैं. इस साल 31 मई को भीमसेनी एकादशी है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भीमसेनी एकादशी मनाई जाती है. इस व्रत में अन्न और जल का सेवन वर्जित है. इस व्रत को करने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य मिलता है और मोक्ष प्राप्त होता है.

01 जून, दिन-गुरुवार: गुरु प्रदोष व्रत
ज्येष्ठ माह का गुरु प्रदोष व्रत 1 जून को है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिव कृपा से व्यक्ति के दुख दूर होते हैं और संकट मिट जाते हैं. गुरु प्रदोष व्रत की पूजा शाम को करते हैं.

03 जून, दिन-शनिवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 3 जून को है. इस दिन व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं. रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं.

04 जून, दिन-रविवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान-दान
ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान और दान 4 जून रविवार को होगा. इस दिन प्रात: पवित्र नदियों में स्नान किया जाएगा और दान दिया जाएगा.

प्रस्तुति- भूपेंद्र तिवारी

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