मुंह ताकते रह गए जस्टिन ट्रूडो, G7 देशों ने संयुक्त बयान में नहीं किया निज्जर की हत्या का कोई जिक्र

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ABC NEWS: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर उसके सहयोगी देशों ने किनारा कर लिया है. जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत सरकार के एजेंटों ने की है. उन्होंने कहा कि कनाडाई एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं. हालांकि इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करने के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ ‘फाइव आई’ देशों ने ज्यादा तवज्जों नहीं दी. जी7 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर जारी एक संयुक्त बयान में निज्जर से जुड़े आरोपों पर कुछ नहीं बोला.

जी7 देशों से पैरवी करते रहे ट्रूडो
कनाडाई मीडिया ने बताया है कि कनाडा के करीबी सहयोगी ‘फाइव आइज’ कनाडा का पक्ष लेने के इच्छुक नहीं दिख रहे हैं . हालांकि संबंधित देशों ने कहा है कि दावे की गहराई से जांच होनी चाहिए. कनाडा एक खुफिया गठबंधन ‘फाइव आइज’ नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं. अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों में पहले कहा गया था कि अधिकांश जी7 देशों ने ट्रूडो की सप्ताह भर चली पैरवी को खारिज कर दिया था. जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या को भारत के साथ उच्चतम स्तर पर उठाने और एक संयुक्त बयान जारी कर इसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन बताते हुए निंदा करने के लिए कहा था लेकिन उसके करीबी देशों ने ऐसा नहीं किया.

इसके अलावा, ट्रूडो को यह भी उम्मीद थी कि अगर जी7 नहीं तो कुछ फाइव आइज देश भारत सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, “हालांकि, अमेरिका सहित कनाडा के सभी पश्चिमी सहयोगियों ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और इसे नजरअंदाज कर दिया. भारत के खिलाफ पश्चिम को एकजुट करने की व्यर्थ कोशिश करने और अपनी बर्बाद भारत यात्रा की पृष्ठभूमि में, ट्रूडो ने संसद में अकेले आरोप लगाए.”

इन देशों की आलोचना, लेकिन भारत का जिक्र नहीं
अब, G7 विदेश मंत्रियों की बैठक के अध्यक्ष के रूप में नए जापानी विदेश मंत्री कामिकावा योको द्वारा जारी बयान के टेक्स्ट में निज्जर हत्या या भारत का कोई उल्लेख नहीं है. मंगलवार को न्यूयॉर्क में बैठक में, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ के जी7 विदेश मंत्रियों ने रूस, चीन, इंडो-पैसिफिक, उत्तर कोरिया और नाइजर की आलोचना की, लेकिन वहां भारत का कोई जिक्र नहीं था.

क्यों गहराया है भारत-कनाडा का विवाद?
कनाडाई नागरिक 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट का हाथ होने के ट्रूडो के आरोपों के बाद कनाडा और भारत ने अपने-अपने देश में एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिक को मंगलवार को निष्कासित कर दिया था. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘बेबुनियाद’ बताते हुए उन्हें सिरे से खारिज किया था. प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख और भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में शामिल निज्जर (45) की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गत 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी. ट्रूडो ने सोमवार को संसद में कहा था कि कनाडा की खुफिया एजेंसियां खालिस्तान समर्थक सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने के आरोपों की जांच कर रही हैं.

केवल जांच पर जोर दे रहे अधिकतर देश
कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (सीबीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के ‘फाइव आइज’ सहयोगियों ने ट्रूडो के आरोपों को लेकर ओटावा और नई दिल्ली के बीच बढ़ते विवाद में कनाडा के पक्ष में अधिक सक्रियता नहीं दिखाई. रिपोर्ट में कहा गया कि इस तथ्य के बावजूद कि ट्रूडो सरकार को लगता है कि उसके पास संसद में आरोप लगाने और एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के लिए पर्याप्त जानकारी है, अधिकतर सहयोगी देशों ने आरोप की गहन जांच पर जोर दिया. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया सभी ने बयान जारी कर आरोपों की गहन जांच की मांग की है.

क्या बोला अमेरिका? 
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी को ‘‘संभवत: कनाडा का सबसे अधिक समर्थक’’ बताते हुए सीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान का हवाला दिया, जिसमें किर्बी ने कहा, ‘‘ये निश्चित रूप से गंभीर आरोप हैं और हमारा मानना ​​है कि यह निर्धारित करने के लिए कि वे कितने विश्वसनीय हैं, इसकी गहन जांच की आवश्यकता है.’’

क्या बोला ऑस्ट्रेलिया?
ऑस्ट्रेलिया ने एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारत का हाथ होने के कनाडा के आरोपों को ‘‘चिंताजनक’’ बताया और कहा कि कैनबरा ‘‘इससे जुड़े घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए है’’ तथा उसने भारतीय समकक्षों के सामने यह मुद्दा उठाया है. सीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य सहयोगी ब्रिटेन ने इस संबंध में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.

क्या बोला ब्रिटेन?
हालांकि, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने भारत का कोई उल्लेख किए बिना ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘सभी देशों को संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए. हम कनाडा की संसद में उठाए गए गंभीर आरोपों के बारे में अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ नियमित संपर्क में हैं.’’

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