ABC NEWS: 12 सालों का इंतजार एक बार फिर कम से कम 4 और सालों के लिए बढ़ गया. रविवार को वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पूरे टूर्नामेंट अजेय रही भारत को मात दे दी. क्रिकेट के जानकार इस हार की कई तकनीकी वजहें गिना रहे हैं, लेकिन सोशल की जनता का गुस्सा कमेंटेटर संजय मांजरेकर और अहमदाबाद के दर्शकों पर फूटा है.
एक ओर जहां मांग की जा रही है कि मांजरेकर को कमेंट्री करने से हटा देना चाहिए. वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि अगर मैदान अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की जगह मुंबई का वानखेड़े होता, तो दर्शक खिलाड़ियों को निराश नहीं होने देते. सोशल मीडिया यूजर्स ने भारत की कमजोर बल्लेबाजी का दोष मांजरेकर और उनकी कमेंट्री पर मढ़ दिया है.
वजह समझते हैं
पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम शुरुआत में तो दबदबा बनाने में सफल रही, लेकिन शुरुआती झटकों ने मैच का रुख बदल दिया. अब जब बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने संघर्ष कर रहे थे, तब अहमदाबाद के दर्शक खामोश हो गए थे. अब सोशल प्लेटफॉर्म्स पर हैरानी जताई जाने लगी है कि क्या इसकी वजह मांजरेकर थे.
कहा जा रहा है कि कप्तान रोहित शर्मा, ओपनर शुभमन गिल और ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा के विकेट के समय मांजरेकर कमेंट्री बॉक्स में थे. रोहित ने 47, गिल ने 4 और जडेजा ने 9 रनों का योगदान दिया.
क्या बोल रहे यूजर्स
प्रतिम दासगुप्ता नाम के यूजर लिखते हैं, ‘…मांजरेकर को नहीं सुनना चाहता.’ रोशल अली ने लिखा, ‘हॉटस्टार को म्यूट कमेंटेटर का ऑप्शन देना चाहिए. वे इसे पेड फीचर भी बना सकते हैं. मैं मांजरेकर की आवाज नहीं सुनने के लिए हर महीने 100 रुपये दे सकता हूं.’ सुदीप्तो नाम के यूजर ने लिखा, ‘भारत के सभी मैचों में संजय मांजरेकर वह व्यक्ति थे, जिन्हें आधिकारिक तौर पर कमेंट्री बॉक्स में विरोधी टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए लगाया गया था.’
मैदान पर बवाल
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स अहमदाबाद के दर्शकों की खामोशी पर भी सवाल उठा रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, ‘यही कारण है कि आपको फाइनल्स वानखेड़े जैसे स्टेडिम में कराने चाहिए. भीड़ चुप हो गई. अगर यह वानखेड़े होता, तो स्टेडियम इतना उत्साहित होता, शोर मचाता और विरोधी को डराने वाला होता. घरेलू मैदान होने का कोई फायदा नहीं मिला.’
एक यूजर लिखते हैं, ‘ये भीड़ वाकई शर्मिंदगी वाली थी. कोहली को उन्हें चीयर करने के लिए मेहनत करनी पड़ी.’ एक यूजर ने लिखा, ‘पैट कमिंस ने कहा था, हमारा लक्ष्य कल बड़ी भीड़ को चुप कराना होगा. अहमदाबाद की जनता बोली- हम खुद नहीं बोलेंगे, आप चिंता मत करो.’