ABC NEWS: कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अमिताभ बच्चन के नागरिक अधिकारों और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को लेकर दिए बयान ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया है. एक तरफ भाजपा के आईटी सेल मुखिया अमित मालवीय इसको लेकर अमिताभ पर सवाल उठाया. साथ ही इसे टीमएसी और ममता बनर्जी से जोड़ा. दूसरी तरफ, टीएमसी नेता संकेत गोखले ने कहा कि अमिताभ बच्चन का बयान बताता है कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देश का माहौल कैसा हो गया है? गोखले ने कहा कि अमिताभ बच्चन ने यह सब दिल्ली या मुंबई में नहीं, कोलकाता में ममता बनर्जी के सामने कहा, जहां बोलने की आजादी है. बता दें कि बरसों पहले अमिताभ बच्चन का एक गाना बड़ा पॉपुलर हुआ था, जिसके बोल थे, ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है…’ आज उनके बयान में जिस तरह से भाजपा और टीएमसी में रार मची है, समझना जरूरी है कि आखिर बिग बी किसके सियासी अंगने में खड़े हैं.
कांग्रेस के साथ सियासी शुरुआत, फिर सपा से जुड़ाव
अमिताभ बच्चन ने साल 1984 में एक्टिंग से ब्रेक लिया और पॉलिटिक्स ज्वॉइन करने का इमोशनल फैसला लिया. तब उनका इरादा अपने दोस्त राजीव गांधी की मदद करने का था. उन्होंने इलाहाबाद से चुनाव लड़ा और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को बड़े अंतर से हराया था. हालांकि बाद में अमिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स केस में उछला और उन्होंने 1987 में सांसदी से इस्तीफा दे दिया. बाद में यह भी कहा गया कि राजनीति छोड़ने के अपने फैसले की कीमत अमिताभ बच्चन ने गांधी परिवार से दोस्ती खोकर चुकाई. राजनीति छोड़ने के करीब एक दशक बाद अमिताभ बच्चन फाइनेंशियल क्राइसिस में घिर गए। यहां पर उनके खेवनहार बने समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह। बाद में साल 2004 में अमिताभ की पत्नी जया बच्चन सपा के कोटे से राज्यसभा सांसद बनीं.
भाजपा से करीबी
साल 2014 में अमिताभ बच्चन गुजरात सरकार के विज्ञापन में नजर आए. इस दौरान वह नरेंद्र मोदी के भी करीब दिखे. हालांकि अमिताभ ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि उनका विज्ञापन राजनीतिक नहीं था. हालांकि, वह अपने ट्वीट में कांग्रेस के नीतियों की आलोचना करते रहे. यूपीए शासन के दौरान वह तेल की बढ़ती कीमतों वगैरह पर तंजिया अंदाज में ट्वीट करते रहते थे. यह अलग बात है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन्होंने ऐसा करना बंद दिया. हालांकि अमिताभ बच्चन अन्य अभिनेताओं, अक्षय कुमार, अजय देवगन या विवेक अग्निहोत्री की तरह मोदी समर्थक नहीं हैं. इसके बावजूद वह पीएम मोदी की तारीफ तो करते रहते हैं। इसी अक्टूबर में जब प्रधानमंत्री मोदी ने अमिताभ को उनके 80वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं तो बिग बी का जवाब काबिल-ए-गौर था.
विवादित बयानों से बिग बी रहते हैं दूर
यह भी दिलचस्प है कि अमिताभ बच्चन आमतौर पर विवादों से दूर रहने को प्राथमिकता देते हैं. वह अपने काम पर फोकस रखने को तवज्जो देते हैं. ऐसे में कोलकाता में दिया गया उनका बयान अपने आप में बेहद रेयर है. अब अमिताभ बच्चन ने ममता बनर्जी की मौजूदगी में ऐसी बात कही है जो भाजपा को चुभ रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से अपना सियासी आंगन बदलने की तैयारी कर ली है.