ABC News: काशी में शनिवार को महाश्मशान की होली खेली जा रही है. मणिकर्णिका घाट पर कोई चिताओं की राख से होली खेल रहा है, तो कोई डमरू की निनाद पर थिरक रहा है. कोई चेहरे पर राख मल रहा है, तो कोई चिता भस्म से नहाया हुआ है. पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है.
मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन यानी आज बाबा विश्वनाथ यहां चिताओं से निकलने वाले भूतों और औघड़ों के साथ तांडव करते हैं. इस दौरान उनका सबसे विराट अड़भंगी स्वरूप दिखता है. होली 100 डमरुओं की निनाद के साथ शुरू हुई है. वहीं, मसान की होली देखने के लिए 4 से 5 लाख श्रद्धालु, युवा और प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स पहुंचे हुए हैं.
ये होली मणिकर्णिका घाट पर शाम 6 बजे तक खेली जाएगी. दरअसल, गौना के बाद मां पार्वती को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में विराजमान कर बाबा आज यहां पर होली मना रहे हैं.
मान्यता है कि रंग भरी एकादशी पर गौना कराकर लौटते समय बाबा विश्वनाथ ने देवताओं के साथ खूब होली खेले थे. लेकिन, भूत-प्रेत और औघड़ आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे. इसी वजह से श्रीकाशी विश्वनाथ ने महाश्मशान में भूतों की होली खेली.
बाबा महाश्मसान समिति के अध्यक्ष और भस्म होली के आयोजक चैनू प्रसाद गुप्ता बताते हैं, सबसे पहले मणिकर्णिका घाट स्थित मसाननाथ मंदिर में गेरुवा लुंगी और गंजी धारण किए 21 अर्चकों ने बाबा मसाननाथ की आरती उतारी. 12 बजकर 5 मिनट पर आरती शुरू हुई, जो 45 मिनट तक चली. इसके बाद बाबा मसाननाथ पर 30 किलो फल-फूल, माला और 21 किलोग्राम प्रसाद चढ़ाया गया.
इसके बाद से लोग दौड़ते हुए चिताओं के पास पहुंच रहे हैं. फिर चिताओं की राख को अपने देह पर मलते हैं. इसके साथ ही अधजली चिताओं पर गंगाजल और थोड़ी-सी भस्म भी छिड़की जा रही है. जिससे उनकी आत्मा को जाते-जाते बाबा का प्रसाद मिल जाए. बाबा से यह प्रार्थना की जाती है कि मुक्ति आपने बढ़िया दी है, तो ऊपर भी अच्छा स्थान दिया जाए.