ABC NEWS: कानपुर के जूही में जवाहर विद्या समिति को भूखंड पर भौतिक कब्जा न देना और लगातार केस को उलझाए रखना केडीए को बड़ा महंगा पड़ गया. हाईकोर्ट ने केडीए द्वारा उपभोक्ता फोरम द्वारा दिए गए आदेश पर स्टे के लिए की गई अपील को न सिर्फ खारिज किया बल्कि पांच लाख का जुर्माना भी लगा दिया. यह भी कहा प्लॉट पर कब्जा देने के आदेश की लगातार अवहेलना कर रहे. यह धृष्ठता है. सात दिन के भीतर 5 लाख का जुर्माना जवाहर विद्या समिति को बैंक ड्रॉफ्ट के माध्यम से भुगतान करें.
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति अनीश गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया. आदेश में बेंच ने केडीए से कहा कहा कि 20 साल तक जिस समिति ने कानूनी लड़ाई लड़कर जीत हासिल की हो उसे आप अभी भी टहला रहे हैं. हाईकोर्ट ने उपभोक्ता फोरम द्वारा दिए गए आदेश को बरकरार रखा. मालूम हो कि कानपुर विकास प्राधिकरण पर यह अब तक का यह सबसे बड़ा जुर्माना है.
सिलसिलेवार जानें क्या है पूरा मामला
19 जनवरी 1984 को केडीए ने जवाहर विद्या समिति को जूही कला डब्ल्यू ब्लॉक में 5138 वर्ग गज प्लॉट लीज पर देने के लिए आवंटित किया था. लीज 99 साल की रखी गई. एक चौथाई रकम नियम के मुताबिक केडीए ने उसी समय जमा करा ली. कब्जा नहीं दिया. इसके खिलाफ समिति ने जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया. 19 दिसंबर 2003 को फोरम ने आदेश दिया कि रजिस्ट्री करके 2 माह के भीतर कब्जा दे दिया जाए. केडीए ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की. वहां से भी अपील खारिज हुई और उल्टे 5000 का जुर्माना केडीए पर लगा. केडीए ने राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में अपील की. वहां से भी अपील खारिज हुई.
केडीए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा
फिर केडीए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. 15 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने भी केस खारिज कर दिया. इसके बाद तत्कालीन केडीए उपाध्यक्ष आरके सिंह ने 23 जनवरी 2021 को डीड रजिस्टर्ड कर दी. कब्जा लेटर तो दिया मगर भौतिक कब्जा नहीं दिया. समिति ने फिर जिला उपभोक्ता फोरम की शरण ली. वहां से कई नोटिस और सम्मन हुए मगर केडीए ने गंभीरता से नहीं लिया. आखिरकार 27 अप्रैल 2023 को फोरम ने वीसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए इंस्पेक्टर स्वरूप नगर को आदेश दिया कि केडीए वीसी को पेश करे. इसी आदेश के खिलाफ केडीए हाईकोर्ट गया था जहां से अपील खारिज भी हुई और जुर्माने का आदेश भी हुआ.