ABC NEWS: कानपुर में कृषि भूमि का आवासीय और फिर कृषि में बदलने के मामले में आधा दर्जन आइएएस और पीसीएस अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है. पिछले पांच साल में हुए ऐसे भू प्रयोग परिवर्तन के रिकार्ड खंगाले गए तो कुल 40 संपत्तियां मिलने की बात अधिकारी कर रहे है जिनका बार-बार भू प्रयोग परिवर्तित किया गया है.
सदर तहसील में 26, नर्वल में सात और घाटमपुर व अन्य क्षेत्रों में यह संपत्तियां मिली हैं. गौरतलब हो कि लोकायुक्त से हुई शिकायत के बाद शासन ने जांच के निर्देश दिए थे जिस क्रम में जिला प्रशासन के चारों एडीएम को जांच दी गई थी.
जिलाधिकारी यह रिपोर्ट मंडलायुक्त को सौंपेंगे. 22 अगस्त को होने वाली बैठक में रिपोर्ट रखी जाएगी जिसके बाद अफसरों के नाम भी सामने आएंगे. यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी जिसके बाद विभागीय जांच की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.
पांच साल में 20 संपत्तियों को मिली अनुमति
वर्ष 2012-14 के बीच कुल 20 संपत्तियों का भू-प्रयोग बदलने के आदेश किए गए थे जिसमें आवासीय भूमि को कृषि में बदला गया था. यह जमीन नर्वल, सचेंडी, बगदौधी कछार, सिंहपुर कछार, खेरसा, होरा कछार, बूढ़पुर मछरिया, परगही कछार और घाटमपुर में थीं जिनका भू प्रयोग परिवर्तित किया गया.
इन बिंदुओं पर हुई जांच
– राजस्व अभिलेखों के आधार पर पूछताछ कर और सैटेलाइट इमेज के आधार पर स्थलीय जांच
– वर्तमान में वह भूमि कृषि है अथवा अकृषि
– कृषि भूमि घोषित होने के बाद कितनी जमीनों का कितने समय बाद क्रय विक्रय किया गया
लोकायुक्त के यहां हुआ था परिवाद
लोकायुक्त के यहां मथुरा निवासी कपिलदेव उपाध्याय ने परिवाद दाखिल किया था जिसमें उप्र जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के तहत किए गए भूपरिवर्तन से स्टांप शुल्क की चोरी की संभावना से राजस्व को हो रही क्षति को लेकर किया गया था.
जिस पर मथुरा, कानपुर नगर, गाजियाबाद, आगरा और बाराबंकी समेत अन्य जनपदों में कमियां पायी गई थीं. कानपुर में भी तब सूची बनी थी जिसमें 20 प्रकरण सामने आए थे.