CBI पकड़ने गयी थी घूसखोर GST अफसर को, दो बाइक सवारों ने कर दिया 25 लाख का खेल

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ABC NEWS: घूसखोर अफसर को रंगेहाथ पकड़ने जा रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के साथ ही खेल हो गया है. दरअसल, जीएसटी के एक अफसर को घूसखोरी के मामले में सीबीआई पकड़ने जा रही थी. सीबीआई के कहने पर कारोबारी 25 लाख की रिश्वत देने के लिए तैयार हो गया और बैग में पैसे लेकर एक जगह पहुंच गया. वह अफसर का इंतजार कर रहा था, तभी बाइक पर दो लोग आए और बैग लेकर फरार हो गए. दोनों आरोपी अफसर के ही लोग बताए जा रहे हैं.

सीबीआई की टीम ने बाइक पर सवार दोनों का पीछा किया, लेकिन वह हाथ नहीं आए. उधर अफसर भी भाग निकला. घटना के 15 दिन बीत जाने के बाद भी सीबीआई की टीम अभी तक आरोपी अफसर और उसके दोनों साथियों को पकड़ नहीं पाई है. सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है और तीनों की तलाश तेज कर दी है.

क्या है पूरा मामला
एफआईआर के मुताबिक, 20 अप्रैल 2023 को कारोबारी जितेंद्र लूनावत ने अपने करीबी दोस्त अर्पित जगेतिया की ओर से सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार उसका दोस्त अर्पित जगेटिया सोने की खरीद-फरोख्त का काम करता है. सर्राफा बाजार में आपसी लेन-देन में अनियमितता को लेकर उन पर सेंट्रल जीएसटी में केस चल रहा है.

सीबीआई को अपनी शिकायत में कारोबारी ने आरोप लगाया कि सेंट्रल जीएसटी सुपरिंटेंडेंट धीरेंद्र कुमार ने जेल में डालने की धमकी देकर एक करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी. व्यवसायी जितेंद्र लूनावत को 20 अप्रैल की रात करीब 8 बजे उनके दोस्त और सर्राफा व्यापारी अर्पित जगेतिया का वॉट्सऐप कॉल आया और बताया कि वह सेंट्रल जीएसटी की कस्टडी में हैं.

अर्पित जगेतिया ने कहा कि सेंट्रल जीएसटी अधिकारी ने एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है और अगर पैसा नहीं दिया तो सेंट्रल जीएसटी उसे आज रात ही गिरफ्तार कर लेगी. जितेंद्र लूनावत ने अर्पित से कहा कि इतने कम समय में एक करोड़ की राशि का इंतजाम करना संभव नहीं है, जिसके बाद अर्पित जगेतिया ने फोन को होल्ड पर रखकर आरोपी सेंट्रल जीएसटी सुपरिंटेंडेंट धीरेंद्र कुमार से बात की और जितेंद्र लूनावत से कहा कि पैसे आज ही मिल जाएंगे. तभी कुछ होगा.

काफी बातचीत के बाद पहले 80 लाख और अंत में 50 लाख का सौदा हुआ, जिसमें आरोपी सेंट्रल जीएसटी सुपरिटेंडेंट धीरेंद्र कुमार अगले कुछ घंटों में 25 लाख देने और बाकी 25 लाख दूसरे दिन लेने को तैयार हो गया. कारोबारी अर्पित जगेतिया ने पैसों का इंतजाम कर चर्चगेट स्थित सेंट्रल जीएसटी ऑफिस पहुंचकर जितेंद्र से फोन करने को कहा.

इस वॉट्सऐप कॉल को जितेंद्र लूनावत ने अपने दूसरे फोन से रिकॉर्ड किया था. वह किसी तरह की रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने इसकी जानकारी सीबीआई को दी. सीबीआई के मुताबिक, जितेंद्र लूनावत 25 लाख रुपये लेकर मौके पर पहुंचा, जहां अचानक एक बाइक सवार उसके पास आया और उससे पैसे ले गया.

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई बाइकर को रंगे हाथों पकड़ना चाहती थी लेकिन जब बाइकर उनके हाथ से निकल गया तो सीबीआई की एक टीम चर्चगेट स्थित सेंट्रल जीएसटी ऑफिस पहुंची, जहां से सीसीटीवी फुटेज जब्त किए और अर्पित जगेतिया के खिलाफ केस की कॉपी बरामद की.

वहीं सीबीआई की एक अन्य टीम ने धीरेंद्र कुमार की तलाश में उनके घर पर छापा मारा, लेकिन न ही पैसे मिले और न ही अधीक्षक धीरेंद्र कुमार. सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि उन्होंने उस बाइकर का पता लगाना शुरू किया, जिससे 20 अप्रैल की रात को पैसे प्राप्त हुए थे. बाइक के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर सीबीआई ने तलाश शुरू की और पाया कि पंजीकृत बाइक अमृतलाल शंखला की है.

सीबीआई की टीम ने अमृतलाल शंखला से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था.  घटना के 4 दिन बाद सीबीआई की टीम अमृतलाल शंखला के भिवंडी स्थित घर पहुंची लेकिन वह घर पर नहीं था. सीबीआई की टीम ने जब अमृतलाल शंखला की पत्नी से पूछताछ की तो उसने बताया कि अमृतलाल शंखला 20 अप्रैल की रात घर नहीं आया, वह 21 अप्रैल की सुबह घर आया.

अमृतलाल शंखला ने अपनी पत्नी को बताया कि केंद्रीय जीएसटी अधीक्षक धीरेंद्र कुमार के निर्देश पर उसने और उसकी आभूषण की दुकान में काम करने वाले बबन ने एक व्यक्ति से 25 लाख रुपये लिए थे, लेकिन अब सीबीआई उसके पीछे है. अमृतलाल ने अपनी पत्नी से कहा कि वह और बबन मुश्किल में हैं.

सीबीआई द्वारा दर्ज इस मामले में केंद्रीय जीएसटी अधीक्षक धीरेंद्र कुमार समेत अब अमृतलाल शंखला और बबन तीनों फरार हैं. उधर, जिस तरह से वह गायब हुआ, उसी रात सीबीआई की एक टीम धीरेंद्र कुमार के घर पर भी रुकी थी, लेकिन वह घर पर नहीं आया.

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