ABC News: ईरान में 22 साल की माहसा अमिनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद विरोध प्रदर्शन अभी थमे भी नहीं थे कि एक और मामला सामने आ गया. शुक्रवार को जेहदान शहर में 15 साल की बलोच लड़की से रेप के विरोध में प्रदर्शन हुए. इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 36 लोगों के मारे जाने की खबर है.
गुस्साए लोग सरकारी ऑफिसों और पुलिस स्टेशनों में आग लगा रहे हैं. शुक्रवार को नमाज के बाद बलोच समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और इन्होंने नारेबाजी की. इसके बाद पुलिस ने फायरिंग की. पिछले सप्ताह एक पुलिस कमांडर पर एक 15 साल की एक बलोच लड़की के बलात्कार के आरोप लगे थे. ईरान के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरू मौलवी अब्दुल हमीद ने इस लड़की से रेप की पुष्टि की थी. ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान और बलोचिस्तान प्रांत में सुन्नी बलोच आबादी रहती है. आरोपी कमांडर का नाम कर्नल इब्राहिम खूचाकजई है. वह शिया मुस्लिम है. पीड़ित लड़की सुन्नी है. शुक्रवार को बलोच समुदाय के नेताओं ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया था. प्रदर्शन के दौरान बलोचों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेहदान शहर का बड़ा हिस्सा प्रदर्शनकारियों के नियंत्रण में है. इस दौरान पुलिस स्टेशनों और गाड़ियों में आग लगा दी गई. ईरान के सरकारी चैनल के मुताबिक, जेहदान में हुए संघर्ष में 19 लोग मारे गए हैं. इनमें सुरक्षाबलों के जवान भी शामिल हैं. यहां हथियारबंद समूह ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था. इसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की. सिस्तान और बलोचिस्तान प्रांत के रिवोल्यूशनरी गार्ड इंटेलिजेंस चीफ की हमले में मौत हो गई. प्रदर्शन और हिंसा के बाद सरकार ने जाहेदान में इंटरनेट बंद कर दिया है. बलोच आबादी वाले दूसरे शहरों में भी प्रदर्शन हुए हैं. सरकारी दफ्तरों को जला देने की खबरें भी आई हैं. चाबहार में पुलिस कमांडर कर्नल इब्राहिम खूचाकजई कत्ल के एक मामले की जांच कर रहा था. पीड़िता कत्ल की गई महिला के एक पड़ोसी की बेटी है. कमांडर ने इस लड़की को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया और वहां उससे रेप किया. ईरानी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, ये घटना 1 सितंबर की है. लड़की ने घर लौटकर अपनी मां को इस बारे में बताया. मामले को दबाने के लिए सुरक्षाबलों ने पीड़िता के तीन रिश्तेदारों को किडनैप कर लिया और पीड़ित परिवार से जबरदस्ती बयान दिलवाया कि लड़की के साथ कुछ नहीं हुआ. पीड़ित परिवार पर शिकायत न दर्ज कराने का भी दबाव बनाया गया. हालांकि, भारी दबाव के बावजूद पीड़िता के परिवार ने बलात्कार के आरोपों को वापस नहीं लिया.