ABC News: फरवरी में तापमान में बढ़ोतरी और मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश के चलते वैसे ही रबी फसल को नुकसान हुआ है और अब आने वाले खरीफ सीजन के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही है. स्काईमेट ने भविष्यवाणी की है इस वर्ष जून से सितंबर के बीच मानसून सामान्य से कम रह सकता है. स्काईमेट ने अपने वेदर रिपोर्ट में कहा है कि इस वर्ष मानसून औसत का 94 फीसदी रहने का अनुमान है. अपने अनुमान में स्काईमेट ने कहा कि उत्तरी और मध्य भारत में इस वर्ष कम बारिश हो सकती है. खासतौर से गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के दौरान बारिश होने का अनुमान है.
स्काईमेट के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है. स्काईमेट के एमडी जतिन सिंह के मुताबिक अल नीनो की संभावना बढ़ती जा रही है. अल नीनो के असर के चलके मानसून कमजोर पड़ सकता है. बहरहाल खाने-पीने की चीजों के कीमतों के लिहाज से भारत के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. कमजोर मानसून के असर खरीफ फसलों की बुआई पर देखने को मिल सकता है. कम मानसून का सबसे बड़ा असर सबसे प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती पर पड़ सकता है. आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए 2023-24 में महंगाई दर के 5.20 फीसदी रहने का अनुमान जताया है जो फरवरी 2023 में 6.44 फीसदी रहा है. आरबीआई को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आ सकती है. लेकिन स्काईमेट की भविष्यनाणी के मुताबिक अगर मानसून कमजोर रहा तो महंगाई से निपटने की आरबीआई की कोशिशों को झटका लग सकता है. 12 अप्रैल 2023 को मार्च 2023 के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित होंगे. वहीं मानसून लेकर मौसम विभाग भी अपने अनुमान आने वाले दिनों में जारी करेगा.
स्काईमेट ने कमजोर मानसून की भविष्यवाणी की है. कई दूसरी रिसर्च रिपोर्ट्स का मानना है कि इस वर्ष अल नीनो के असर के चलते सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं जिससे खाद्यान्न उत्पादन में कमी आ सकती है. पिछले दिनों अमेरिका से जुड़ी संस्था एमओएए जून से दिसंबर 2023 के बीच अल नीनो के आने की संभावना जताई है. इससे भारत में मानसून पर असर पड़ सकता है. बीते 20 वर्ष में जब भी सूखा पड़ा है वो अल नीनो के चलते ही हुआ है. अल नीनो के चलते देश में सूखा पड़ सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं के सप्लाई पर दबाव देखने को मिल सकती है. और इसका असर खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर असर पड़ सकता है. खाद्य वस्तुओं महंगी हो सकती है. वित्त मंत्रालय ने जनवरी महीने के लिए जो मंथली इकोनॉमिक रिव्यू रिपोर्ट जो जारी किया था उसमें भी कहा गया कि मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली एजेंसियों ने भविष्यवाणी की है कि भारत में अल नीनो जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं. अगर ये भविष्यवाणी सच साबित हुई कि इसका असर मानसून पर देखने को मिल सकता है. अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलाव है, जिसका असर मौसम पर देखा जाता है. अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के ठंड ज्यादा पड़ने लगती है. अल नीनो के चलते गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ जाता है और सूखे जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. इसके असर से बारिश होने वाले क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिलता है. कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश देखने को मिली है.