ABC News: राजनीतिक दलों की मुफ्त की योजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस पूरे मामले की सुनवाई सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही है. इस मामले में याचिका दायर कर कहा गया है कि मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए. अब एक बार फिर इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई है. जहां सीजेआई रमना ने मुफ्त की योजनाओं को लेकर कई टिप्पणियां कीं.
Supreme Court adjourns for Mon, Aug 22 the hearing of plea against promises by political parties to distribute freebies from public funds during election campaigns; says concern is about spending public money in right way, asks parties in the case to file suggestions by 20th Aug. pic.twitter.com/Rq9HN8emAN
— ANI (@ANI) August 17, 2022
मुफ्त की योजनाओं को लेकर सुनवाई करते हुए सीजेआई रमना ने कहा कि, हम राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोक सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि सही वादे क्या हैं और किन्हें फ्रीबीज के तौर पर सही मना जाए. क्या हम मुफ्त शिक्षा और कुछ यूनिट मुफ्त बिजली को फ्रीबीज के तौर पर देख सकते हैं? इस पर चर्चा होनी जरूरी है. सीजेआई ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि, ऐसे वादे ही किसी पार्टी की जीत या सत्ता में आना तय नहीं करते हैं. ये सवाल है कि पानी और बिजली लोगों को देना फ्रीबीज है या नहीं. इस दौरान कोर्ट में पेश हुए सीनयर एडवोकेट विकास सिंह की तरफ से कहा गया कि हमारे पास हलफनामे नहीं पहुंचे हैं, जबकि मीडिया को ये पहले मिल गए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि, इसका इस्तेमाल पब्लिसिटी के लिए नहीं होना चाहिए. साथ ही ये सुनिश्चित किया जाए कि एप्लीकेशन की कॉपी सभी पार्टियों को दी जाएं. इस मामले को लेकर सुझाव और बाकी चीजों की जानकारी शनिवार तक दर्ज करवा सकते हैं.
क्या है पूरा मामला?
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. जिसमें मुफ्त की योजनाओं पर लगाम लगाने और ऐसी पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात कही. वहीं आम आदमी पार्टी ने इस याचिका के खिलाफ कड़ा विरोध जताया, AAP की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि, गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं मुफ्त उपहार या फ्रीबीज नहीं है. पार्टी की तरफ से कहा गया कि अगर इस मामले पर सुनवाई हो रही है तो इसमें सांसदों, विधायकों और कॉरपोरेट्स को दिए जाने वाले भत्तों का भी आकलन किया जाना चाहिए.