ABC NEWS: हरदोई के कोतवाली देहात क्षेत्र के नीर गांव में बारात आने से एक दिन पहले गैस सिलेंडर में लीकेज की वजह से आग लग गई, जिसमें दुल्हन की मां और बुआ की जिंदा जलकर मौत हो गई. आठ रिश्तेदार झुलस गए. तीन को भर्ती कराया गया है. नीर गांव निवासी संजीव सिंह सोमवंशी की बेटी राखी की रविवार को लोनार क्षेत्र के दुलारपुर से बारात आनी थी. घर में शादी की रस्में चल रही थीं. शनिवार रात घर की महिलाएं दो सिलेंडर और ईंट की भट्ठी पर खाना बना रहीं थीं. संजीव की पत्नी मंजू, ननद सरला के अलावा किचन में कई महिलाएं मौजूद थीं.
राखी के भाई रोहित के मुताबिक, लीकेज सिलेंडर से निकली गैस कुछ दूर रखे जलते दीपक के संपर्क में आते ही भभक पड़ी और सिलेंडर में आग पकड़ ली. ज्यादातर लोग घर से बाहर भागे लेकिन मंजू और सरला वहीं गिर गईं और आग की चपेट में आ गईं. दोनों की जलकर मौत हो गई. सूचना पर पहुंची फायर बिग्रेड ने आग पर काबू पाया. काफी सामान जल गया। डीएम मंगला प्रसाद सिंह व एसपी राजेश द्विवेदी ने भी मुआयना किया और मदद का भरोसा दिलाया.
नीर गांव में मातम, डोली से पहले उठी मां-बुआ की अर्थी
संजीव सिंह सोमवंशी की बेटी राखी की शादी लोनार थाना क्षेत्र के दुलारपुर गांव निवासी रिटायर फौजी केके सिंह के पुत्र सुमित से तय है. बारात रविवार की रात को आनी थी. लेकिन शायद बेटी की डोली उठते हुए देखना राखी की मां मंजू और बुआ सरला के नसीब में ही नहीं था. बारात आने से ठीक एक रात पहले आग ने सारे सपने और अरमान जलाकर राख कर दिए. राखी की डोली से पहले उसकी मां और बुआ की अर्थी उठाई गई.
मुआवजे के लिए गैस एजेंसी को पत्र लिखेंगी एसडीएम सदर
पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने के लिए तहसील प्रशासन भी प्रयास करेगा. एसडीएम सदर स्वाती शुक्ला ने बताया कि मौका-मुआयना कर जनहानि व माल हानि की रिपोर्ट तैयार की गई है. रिपोर्ट के साथ पत्र संबंधित एजेंसी को भेजा जाएगा. ताकि परिवार को यथासंभव आर्थिक मदद मिल सके.
हे राम, ये क्या हो गया
दुल्हन राखी भी रो-रोकर बदहवास हो गई। बार-बार वह खुद को इसके लिए कसूरवार ठहराते हुए बिलखती रही। परिजनों ने उसे ढांढस बंधाया. लगातार रोते रहने से कई बार वह बेसुध हो गई. वहीं, लड़की वाले बारात का इंतजार करते रहे. रात 1030 बजे तक बारात नहीं आई थी.
गैस लीकेज की स्थिति में सावधानी ही बचाव
जिला अग्निशमन अधिकारी महेन्द्र प्रताप के मुताबिक गैस लीकेज की वजह से सिलेंडर में आग पकड़ने पर भी वह जल्दी नहीं फटता है. सिलेंडर तब फटता है जब उसके बाहर का तापमान काफी अधिक हो जाए. उसके रेग्यूलेटर या कुछ हिस्से में आग लगने पर उसके फटने की संभावना न के बराबर होती है. जब तक वह चारों ओर से आग से नहीं घिर जाता, तब तक वह फटता नहीं है. कुछ हिस्सों में आग पकड़ते ही किसी सूती कपड़े से उसकी आग को बुझा देना चाहिए. ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय होता है, इसलिए डरने या हड़बड़ाने की आवश्यकता नहीं है.
एक ही आवाज, भागो..भागो…बाहर जाओ
संजीव सिंह के घर में हादसे के बाद भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। किचन से चीखने की आवाज निकली तो कमरों में मौजूद परिजन व रिश्तेदार उधर की ओर भागे। वहां आग की लपटें व धुंआ उठता देखा तो आंगन में आ गए। इसके बाद चौतरफा एक ही आवाज गूंजती रही कि भागो-भागो..बाहर जाओ. आपाधापी के माहौल में कुछ देर तक तो किसी को यही समझ में नहीं आया कि कौन-कौन बाहर आ गया है और कौन घर के अंदर रह गया है। चीखपुकार सुनकर गांववाले भी इकट्ठा हो गए. आग बुझने के बाद जब लोग अंदर पहुंचे तो वहां सरला व मंजू बुरी तरह से जली अवस्था में पड़ी थीं.
मंडप तक पहुंची आग, कुछ हिस्सा जल गया
आंगन में बने मंडप तक आग की लपटें पहुंच गईं. मंडप के निचला हिस्सा जलकल काला पड़ गया। वहां रखा सामान भी आग की भेंट चढ़ गया. घटना के बाद लोग खाना खाना भूल गए. पारात में आटा गूंथा पड़ा रहा. एक रोटी तवा पर पड़ी ही तो एक रोटी चौकी पर पड़ी नजर आई. कुछ रोटियां सिक चुकी थीं। वे प्लास्टिक के टब में रखी थीं। वे भी जस की तस पड़ी रहीं. किसी के मुंह का निवाला नहीं बन सकीं। सुबह पड़ोसी मदद के लिए आगे आए.