ABC NEWS: हिंदू कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ है. इस साल आषाढ़ माह का प्रारंभ 5 जून दिन सोमवार से हो रहा है. आषाढ़ माह जल से जुड़ा है, इसमें लोगों को बड़ी ही सावधानी से जल का उपयोग करना चाहिए. हमेशा साफ जल ही पीना चाहिए क्योंकि इस माह में बारिश होने से जल में जलीय जीव अधिक हो जाते हैं. धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ माह भगवान विष्णु, सूर्य, मंगल और मां दुर्गा की पूजा के लिए है. आषाढ़ माह को मनोकामना पूर्ति मास भी कहते हैं. इस पूरे महीने आप 3 काम करते हैं तो आपके धन संपत्ति में वृद्धि होगी और कार्य सफल होंगे. आषाढ़ में ही चातुर्मास प्रारंभ होता है, जिसमें शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं आषाढ़ माह का महत्व और इसमें करने वाले धार्मिक
कार्यों के बारे में.
आषाढ़ माह का प्रारंभ 5 जून से हा रहा है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और यह 5 जून सोमवार को सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक है. इस दिन सूर्योदय 05 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा 5 जून को है.
1. आषाढ़ माह को मनोकामना पूर्ति मास भी कहा जाता है. इस माह में आप ईश्वर का स्मरण करके जो भी कामना करते हैं, उसकी पूर्ति होती है. ऐसे में आपकी जो भी मनोकामना हो, उसकी पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं.
2. आषाढ़ माह में भगवान विष्णु के साथ जल देवता की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है. इनके अलावा आप सूर्य और मंगल देव की पूजा करके सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं.
3. आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि आती है. आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि मां दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्ति का उत्तम साधन है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का व्रत और दुर्गा पूजा से मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं.
आषाढ़ में शुरू होगा चातुर्मास
आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से चातुर्मास का प्रारंभ होता है. इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. भगवान विष्णु समेत सभी देव सो जाते हैं, सिवाय भगवान शिव के. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास होता है. इसमें भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए शादी, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य नहीं होते हैं.
आषाढ़ में गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ माह में गुरु पूर्णिमा आती है. यह आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पड़ती है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन गुरुजनों, वेद व्यास जी की पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.
प्रस्तुति: भूपेंद्र तिवारी