अरूणाचल से अमित शाह का चीन को जवाब, ‘सुई की नोक जितनी जमीन भी कोई नहीं ले सकता’

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ABC News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अरुणाचल प्रदेश दौरे पर पहुंचे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री ने किबिथू में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ और विभिन्न विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने चीन को करारा जवाब दिया. दरअसल, चीन ने आज ही अमित शाह के दौरे पर एतराज जताया था. इस पर शाह ने कहा कि हमारी जमीन की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता. वो जमाने चल गए जब भारत की भूमि पर कोई अतिक्रमण कर सकता था.

सैनिकों के पराक्रम से हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं. ऐसे में हमारी सीमा में अतिक्रमण की तो कोई बात ही नहीं है. देश की सुई की नोक जितनी जमीन भी कोई नहीं ले सकता. अरुणाचल प्रदेश के किबिथू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरा देश आज अपने घरों में चैन की नींद सो सकता है, क्योंकि हमारे ITBP के जवान और सेना हमारी सीमाओं पर दिन-रात काम कर रहे हैं. आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हम पर बुरी नजर डालने की ताकत किसी में नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को अशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, लेकिन पिछले 9 वर्षों में पीएम मोदी की ‘लुक ईस्ट’ नीति के कारण पूर्वोत्तर को अब एक ऐसा क्षेत्र माना जाता है, जो देश के विकास में योगदान देता है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 21 अक्तूबर 1962 में तत्कालिन कुमाऊं रेजीमेंट के छह अधिकारियों ने यहां पर जिस बहादुरी से लड़ाई लड़ी और जिससे भारत की भूमि की रक्षा हो पाई, मैं उन्हें मनपूर्वक श्रद्धाजंलि देना चाहता हूं.

1963 में टाइम मैगजीन में लिखा था कि जो किबिथू में लड़ाई हुई, उसमें भारतीय सेनाओं के पास हथियार तो कम थे, लेकिन वीरता समग्र विश्व की सेनाओं से भी ज्यादा थी.अमित शाह ने कहा कि आज आते-आते मैंने सैंकड़ो झरनों को देखा. मैंने यहां उतरते ही पेमा खांडू को कहा कि एक घर ले लीजिए और जब मैं वृद्ध हो जाऊं तो यहां रहने आऊं. भगवान परशुराम ने अरुणाचल को नाम दिया था. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर बच्चा अरुणाचल को सूर्यदेव की पहली किरण की धरती के नाम से जानता है. अरुणाचल भारत माता के मुकुट का एक दैवितमान मणि है. उन्होंने कहा कि पहले जब मध्य भारत से कोई आता था तो कहता था कि वो भारत के अंतिम गांव से होकर आया, लेकिन अब मैं जाकर अपनी पोती को बताऊंगा कि मैं भारत के पहले गांव से होकर आया हूं. ये कॉन्सेप्चयूअल चेंज हैं. दिल्ली में बैठे हुए नेताओं के आलस्य और गलत दृष्टिकोण की वजह से ये क्षेत्र विवादित और उग्रवाद से ग्रस्त था. आज विवाद और उग्रवाद खत्म हो रहे हैं.

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