ABC News: विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को मूनलाइटिंग करते हुए पकड़े जाने के बाद नौकरी से निकाल दिया है. विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने ये जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि 300 कर्मचारी जो विप्रो में नौकरी कर रहे थे पिछले कुछ महीनों में उन्हें साथ में प्रतिद्वंदी कंपनी में काम करते हुए पाया गया जो कंपनी के मूल्यों के खिलाफ है. जिसके चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है.
AIMA के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऋषद प्रेमजी ने कहा कि विप्रो में कोई काम करते हुए किसी अन्य प्रतिद्वंदी कंपनी में भी कोई कर्मचारी काम करे, विप्रो में ऐसे कर्मचारियों के लिए कोई स्थान नहीं है. उन्होंने बताया कि इस प्रकार के उल्लंघन के बाद ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. दरअसल आईटी सेक्टर में मूनलाइटिंग को लेकर तेजी बहस छिड़ी है. बीते महीने विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने आईटी सेक्टर में मूनलाइटिंग प्रैक्टिस (Moonlighting Practice) को धोखाधड़ी करार दिया था. ऋषद प्रेमजी ने सेशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लिखा कि टेक इंडस्ट्री में इन दिनों कर्मचारियों का मूनलाइटिंग चर्चा में है. बिलकुल स्पष्ट और सरल तरीके से कहना चाहता हूं, ये पूरी तरह धोखाधड़ी है. हाल ही में देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस ने भी अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग यानि दो जगहों पर एक साथ नौकरी करने को लेकर चेतावनी दी है. इंफोसिस ने 12 सितंबर को ‘No Double Lives’ शीर्षक के साथ कर्मचारियों को ईमेल भेजा है. कंपनी ने ईमेल में कहा कि दो जगहों पर एक साथ नौकरी करते हुए पाये जाने पर कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी साथ ही नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. ईमेल में साफ लिखा है कि कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र के क्लॉज में लिखा है कि इंफोसिस से बिना मंजूरी लिए कोई भी कर्मचारी दूसरी जगहों पर ना तो फुल टाइम या पार्ट टाइम बेसिस पर नौकरी कर सकता है.
क्या है मूनलाइटिंग
यह कॉन्सेप्ट कोरोनाकाल के दौरान वर्क फ्रॉम होम ( Work From Home) का चलन बढ़ने के बाद बढ़ा है. मूनलाइटिंग चीटिंग का मतलब है कि रेगुलर जॉब के साथ चोरी-छुपे दूसरी जगह भी नौकरी करते रहना. आईटी सेक्टर में कई कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है. ऐसे में कर्मचारी एक कंपनी के अलावा दूसरी जगह काम करके अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं.