तवांग में ड्रैगन को खदेड़ने वाले ये हैं भारतीय सेना के सूरमा, कमांडर ने बढ़ाया उत्साह

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ABC News: अरूणाचल प्रदेश के यांगत्से में चीनी सेना को खदेड़ने वाले भारतीय सैनिकों की पहली तस्वीर सामने आई है. शनिवार को भारतीय सेना की गजराज कोर के कमांडर ने तवांग के यांगत्से पहुंचकर सैनिकों का उत्साह बढ़ाया और मजबूती से अपना कर्तव्य निभाने के लिए शाबासी दी. खुद गजराज कोर ने कमांडर की सैनिकों से मुलाकात की तस्वीरें जारी की.

असम के तेजपुर स्थित गजराज कोर (4 कोर) की ही जिम्मेदारी तवांग और यांगत्से इलाके से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सुरक्षा की है. गजराज कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल डी एस राणा शनिवार को यांगत्से में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना की एक फॉरवर्ड पोस्ट (सीमा चौकी) पहुंचे और वहां तैनात सैनिकों से मुलाकात की. कमांडर ने वहां तैनात सैनिकों के उत्साह की प्रशंसा की. 9 दिसंबर को तवांग से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर यांगत्से इलाके की ही एक सीमा-चौकी पर चीनी सेना ने धावा बोला था. लेकिन वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना के हमले को ना केवल विफल कर दिया बल्कि चीन के 300-400 सैनिकों को अपने इलाके से खदेड़ भी दिया था.

इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव पैदा हो गया था. हालांकि, दो दिन बाद यानि 11 दिसंबर को दोनों देशों के फील्ड कमांडर्स के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में यांगत्से में शांति बहाली हो गई थी. गजराज कोर के मुताबिक, शनिवार को यांगत्से दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल राणा ने वहां एक फॉरवर्ड पोस्ट पर पूर्व डिप्लोमेट और सैन्य कमांडर, मेजर बॉब खाटिंग की मूर्ति अनावरण भी किया. 1951 में मेजर बॉब खाटिंग के नेतृत्व में ही भारतीय सैनिक पहली बार तवांग पहुंचे थे और तब से ही भारतीय सैनिक वहां तैनात रहते हैं. गजराज कोर के मुताबिक, बॉब खाटिंग एक महत्वपूर्ण सैनिक और सच्चे देशभक्त थे. मेजर बॉब की निस्वार्थ सेवा के कारण ही वे स्थानीय तवांग के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है. यांगत्से से सटी एलएसी भारतीय सेना की तवांग स्थित कोरिया-ब्रिगेड का ही हिस्सा है.

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