ABC NEWS: तारीख यही 24 जनवरी की थी. लेकिन साल 1950. मसला यह था कि मौजूदा उत्तर प्रदेश को किस नाम से जाना जाए. क्या यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध रखा जाए या आर्यवर्त या उत्तर प्रदेश. सूबे के मुखिया गोविंद बल्लभ पंत थे और देश की कमान जवाहर लाल नेहरू के हाथ में थी. कई दौर के मंथन के बाद यह तय हुआ कि यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध की जगह उत्तर प्रदेश सही होगा. लेकिन बात हम करेंगे 11 नवंबर 1949 की.
तत्कालीन सीएम पंत भी थे सहमत
11 नवंबर 1949 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. संपूर्णानंद ने एक प्रस्ताव रखा. उस प्रस्ताव में प्रदेश का नाम आर्यावर्त का जिक्र था. बताया जाता है कि उस समय सीएम रहे गोविंद बल्लभ पंत को भी आपत्ति नहीं थी. वो भी आर्यावर्त नाम रखे जाने के पक्ष में थे. लेकिन पांच दिसंबर 1949 आते आते तस्वीर बदल गई. प्रदेश की कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पर आपत्ति जता दी. कांग्रेस कमेटी का तर्क था कि आर्यावर्त से संघ के सोच की झलक मिलती है. जबकि प्रदेश का अपना चरित्र गंगा जमुनी तहजीब का है. प्रदेश में हिंदू और मुस्लिमों की मिली जुली संस्कृति है. आर्यवर्त नाम से इस मेल मिलाप वाली संस्कृति पर चोट पहुंचेगी. लिहाजा इस नाम से बचना चाहिए.
पांच दिसंबर 1949 को कांग्रेस ने जताई आपत्ति
पांच दिसंबर को फर्रुखाबाद में कांग्रेस के सम्मेलन में यह नाम के मुद्दे को पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू के सामने रखा गया. उन्होंने कांग्रेस कमेटी द्वारा सुझाए उत्तर प्रदेश नाम पर मुहर लगा दी. नेहरू के मुहर लगाए जाने के बाद सीएम गोविंद बल्लभ पंत का भी विचार बदला. उन्होंने भी यूनाइटेड प्रोविंस का नाम उत्तर प्रदेश रखे जाने के समर्थन में अपनी सहमति दी. इस तरह से 24 जनवरी 1950 को ऐलान किया गया कि आज की तारीख से यूनाइटेड प्रोविंस को उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाएगा. इस तरह से मौजूदा उत्तर प्रदेश को नया नाम मिल गया.
तीन बार बदला नाम
बता दें कि ब्रिटिश सरकार पहले इस प्रदेश को नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस नाम से पुकारती थी. 1902 से पहले दस्तावेजों में इस नाम का जिक्र है. हालांकि 1902 में नाम बदलकर यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध रखा गया. हालांकि 35 साल बाद 1937 में इसे यूनाइटेड प्रोविंस के नाम से जाना जाने लगा और 24 जनवरी 1950 को एक बार फिर बदलाव हुआ और उत्तर प्रदेश नया नाम मिला.