संसद भवन के ‘शेर’ नहीं दिखते क्रूर, सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर खारिज किया केस

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ABC News: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन की छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ के स्वरूप को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. दो वकीलों की ओर से दायर अर्जी में राष्ट्रीय प्रतीक में लगे शेरों की मुद्रा पर सवाल उठाया गया था. याचिका में गया था कि नए संसद भवन में लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक के शेर, सारनाथ म्यूजियम में संरक्षित रखे गए राष्ट्रीय चिह्न के गंभीर शांत शेरों की तुलना में कहीं ज्यादा ‘क्रूर’ दिख रहे हैं .ये भारतीय राष्ट्रीय चिह्न (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट का उल्लंघन है.

 

यह याचिका शुक्रवार को जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच के सामने आई. वकील अलदानिश रेन ने दलील दी कि संसद भवन पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक पर देवनागरी में सत्यमेव जयते भी नहीं लिखा है. राष्ट्रीय चिह्न में जिस तरह से बदलाव किया गया है वो राष्ट्रीय चिह्न के दुरूपयोग को रोकने को लेकर बनाए गए भारतीय राष्ट्रीय चिह्न (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट का उल्लंघन है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यहां लगाए गए अशोक स्तंभ के शेर किसी तरह से इस एक्ट का उल्लंघन नहीं हैं. जब वकील ने दलील दी कि इसमें शेर कहीं ज्यादा आक्रामक नज़र आ रहे है तो जस्टिस शाह ने कहा कि ये देखने वाले की सोच पर निर्भर करता है. सेंट्रल विस्टा में लगे भारतीय राजचिह्न में शेरों की बनावट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार को घेरा था. विपक्षी दलों का कहना था कि राष्ट्रीय प्रतीक के स्वरूप को बदला गया है. हालांकि विपक्ष के इन आरोपों पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने पलटवार किया था.  पुरी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया था कि सारनाथ स्थित मूल प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है, जबकि नए संसद भवन के ऊपर बना प्रतीक विशाल और 6.5 मीटर ऊंचा है. अगर सारनाथ में स्थित राष्ट्रीय प्रतीक के आकार को बढ़ाया जाए या नए संसद भवन पर बने प्रतीक के आकार को छोटा किया जाए, तो दोनों में कोई अंतर नहीं होगा.

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