शव के साथ 17 माह बिताने वाले परिवार का होगा मेंटल टेस्ट, 5 सवालों का जवाब ढूंढ रही पुलिस

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ABC NEWS: कानपुर में 17 महीने तक शव के साथ रहे विमलेश के परिवार वालों का मेंटल टेस्ट होगा. पुलिस को परिवार के सदस्यों से उन पांच उलझे हुए सवालों का जवाब चाहिये, जिससे घर में 17 माह तक शव सुरक्षित रखने की गुत्थी सुलझ सकती है. पुलिस आयुक्त ने सीएमओ को पत्र लिखकर टीम बनाकर पूरे परिवार का मानसिक परीक्षण कराने का आग्रह किया है. मानसिक स्थिति जांच वाली टीम में पुलिस विभाग से भी एसीपी स्तर का अधिकारी शामिल होगा.

घटना पर एक नजर

रावतपुर के कृष्णापुरी में रहने वाले 35 वर्षीय विमलेश गौतम आयकर विभाग में एओ के पद पर हैदराबाद में तैनात थे. बीमारी के चलते वह घर लौट आए थे और इलाज के दौरान 22 अप्रैल 2021 को उनकी मृत्यु हो गई थी. अस्पताल से डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाने के बाद भी परिवार वाले उन्हें जीवित मानकर शव घर पर ही रखे रहे.

परिवार वाले किसी डॉक्टर से भी शव का इलाज कराते और इसमें करीब 35 लाख रुपये खर्च भी किए. छह माह तक ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया. आयकर विभाग के पत्र मिलने के बाद सीएमओ ने बीते शुक्रवार को घर पर टीम भेजी तब शव घर से बाहर निकाला जा सका.

सबसे बड़ा सवाल बना बदबू न आना

17 माह तक घर में लाश रखने और परिवार में मां, पिता, भाई व पत्नी का साथ रहने की बात सुनकर सभी के पांव तले जमीन खिसक गई. शव पूरी तरह कंकाल बन चुका था लेकिन बदबू न आना सबसे बड़ा सवाल बना है. पड़ोसी भी परिवार वालों की बात मानकर विमलेश को अबतक जीवित और कोमा में मानते रहे थे.

सीएमओ ने आयकर विभाग को विमलेश के जीवित नहीं होने की रिपोर्ट भेज दी है लेकिन पुलिस शव रखने के रहस्य को उजागर करने के प्रयास में हैं. अबतक के घटनाक्रम में उलझाने वाले पांच सवालों के जवाब तलाशने का प्रयास कर रही है.

वो पांच सवाल जिनके जवाब ढूंढ रही पुलिस

  • 1-शव को जिंदा मानकर उसका इलाज कराना, क्या मानसिक विक्षिप्तता है? अगर ऐसा है तो पूरे परिवार को इलाज की जरूरत है. अन्य कोई कारण है तो वह भी सामने आना चाहिए.
  • 2-शव से बदबू नहीं आई। किस विधि का प्रयोग किया गया, जिससे शव ममी स्वरूप में तब्दील हो गया था. क्या किसी रसायन या जड़ी बूटी का प्रयोग किया गया.
  • 3-वह डाक्टर कौन है जो मृत देह का इलाज कर रहा था.
  • 4-आयकर विभाग से विमलेश का परिवार किस तरह का पत्राचार कर रहा था.
  • 5-इन 17 माह में क्या परिवार ने विमलेश के वेतन का आहरण किया या नहीं.

परिवार वालों का मानसिक परीक्षण कराने का आग्रह

पुलिस आयुक्त ने इस प्रकरण में एडीसीपी पश्चिम लाखन सिंह यादव को जांच दी थी. मगर, 48 घंटे के दौरान भी जांच शुरू नहीं हुई है. पुलिस आयुक्त ने बताया कि परिवार की मानसिक स्थिति का आंकलन किए बगैर उनसे पूछताछ नहीं करनी चाहिए.

इसलिए उन्होंने सीएमओ को पत्र लिखा है, जिसमें पूरे परिवार का मानसिक परीक्षण कराए जाने का सुझाव दिया है. एक बार संयुक्त टीम द्वारा मानसिक परीक्षण कर लिया जाए, उसके बाद पुलिस पूछताछ शुरू करेगी.

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