ABC News: आने वाले कुछ समय में छोटे शहरों के अमीरों पर भी आयकर विभाग की सीधी नजर होगी. इन शहरों के कर चोरों को जद में लेने के लिए आयकर विभाग की जांच शाखा की यूनिटें बढ़ाई जाएंगी. इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) जल्द ही आदेश जारी कर सकता है. दरअसल, अब जांच शाखा को छापे के साथ-साथ सर्वे भी करना पड़ता है.
पहले सर्वे की जिम्मेदारी रेंजों के पास होती थी, लेकिन इस व्यवस्था को खत्म कर पूरी जिम्मेदारी जांच शाखा को ही दे दी गई है. इसके साथ ही 2016 में बेनामी यूनिट और 2022 में विदेश यूनिट का काम भी जांच शाखा को दिया जा चुका है. एक संयुक्त आयकर निदेशक से संबद्ध चार सहायक या उप आयकर निदेशक होते हैं. उत्तर प्रदेश में कुल छह संयुक्त आयकर निदेशक के पद हैं. इसमें कानपुर, लखनऊ, बनारस, आगरा, मेरठ और नोएडा शामिल हैं. सभी को चार-चार सहायक आयकर निदेशक या उप आयकर निदेशक मिले हैं. केवल कानपुर और नोएडा के अधिकारी अपने-अपने शहरों में ही तैनात हैं. बाकी जगहों के एक-दो अधिकारियों के पास दूसरे शहरों की भी जिम्मेदारी है. ऐसे में छोटे शहरों की निगरानी नहीं हो पा रही है. सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ समय से छोटे शहरों में कर चोरी बढ़ी है. रियल इस्टेट, पान मसाला, गुटका समेत अन्य कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. झांसी में पिछले साल एक रियल इस्टेट कारोबारी के यहां छापे में दो सौ करोड़ की कर चोरी पकड़ी गई थी. कन्नौज और कानपुर में रहने वाले पीयूष जैन के आवासों से दो सौ करोड़ से ज्यादा की नकदी और सोने की सिल्ली मिली थी. ऐसे मामले सामने आने के बाद विभाग ने छोटे शहरों की भी निगरानी बढ़ाने की तैयारी की है. सूत्रों के अनुसार सीबीडीटी जल्द ही जांच शाखा बढ़ाने जा रहा है. इसके साथ ही संयुक्त आयकर निदेशक से संबद्ध सहायक और उप आयकर निदेशक की संख्या में भी इजाफा हो सकता है. इससे प्रदेश के बांदा, कन्नौज, महोबा, हमीरपुर, कानपुर देहात, उरई, रायबरेली, मिर्जापुर, बुलंदशहर, मथुरा, अयोध्या जैसे जिलों को जांच शाखा का आयकर अधिकारी मिल सकता है.