ABC NEWS: साल था 1988, सिनेमाघरों से गली-मोहल्लों तक शहंशाह, कयामत से कयामत तक और तेजाब जैसी फिल्मों की बातें हो रही थी. वो दौर टिपिकल हीरो वाली फिल्मों का था, जिसमें लीड हीरो को देखने के लिए ही लोग टॉकीज जाते थे लेकिन इसी दरमियान एक नॉर्मल से चेहरे ने लोगों को अपनी ओर खींचा. नाम था… राजू श्रीवास्तव.
बतौर फिल्म एक्टर राजू पहली बार 1988 में बनी फिल्म ‘तेजाब’ में दिखे. इस फिल्म में भले ही उन्होंने छोटा रोल निभाया, लेकिन उनकी एक्टिंग ने बड़े फिल्म मेकर्स का ध्यान खींचा. यही वजह थी कि एक साल बाद यानी 1989 में उन्हें राजश्री प्रोडक्शन ने अपने मेगा प्रोजक्ट ‘मैंने प्यार किया’ में शामिल किया. राजू ने 1988 से 2017 तक 17 फिल्मों में काम किया.
सीने पर गिटार बनवाए थे गजोधर भइया
राजू श्रीवास्तव के मामा का घर उन्नाव के बीघापुर गांव में है. राजू बताते हैं, “बचपन में जब हम मामा के घर जाते थे उस वक्त वहां बाल काटने के लिए एक नई आते थे. उनका नाम गजोधर था। हमेशा मजे लेते रहते थे. सीने पर गिटार का टैटू बनवाया था. कहते थे कि जब खुजली करता हूं तब ये बजता है. वह इतने मजाकिया थे कि उनका नाम मेरी जुबान पर चढ़ गया.”
कैटरीना का नाम सावित्री होता तो क्या होता
राजू श्रीवास्तव कपिल शर्मा के मशहूर शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में पहुंचे थे. उन्होंने एक्ट्रेस के नाम को लेकर कॉमेडी शुरू की। अगर कैटरीना का नाम सावित्री देवी, आलिया भट्ट का नाम सत्यवती, कपिल का नाम रमाशंकर, सिद्धू का नाम अयोध्या प्रसाद होता तो कैसा होता? क्या यह इतना पॉपुलर हो पाते?
इसके बाद राजू ने कहा, कुछ जिले ऐसे होते हैं जैसे वो किसी कोने शर्मीली लड़की की तरह खड़े हैं. जैसे, बरेली, उरई, परैल, पुरी, पुणे, चुरु। कुछ जगह ऐसे हैं जो घमंड से भरे हैं, कर्नाटक, चित्तौड़गढ़, भटिंडा, हावड़ा, काटगोदाम। हावड़ा, नाला सोपारा.
राजू ने कहा था, जब मैं मुंबई आया तब लोग कॉमेडियन को बढ़िया एक्टर नहीं समझते थे. उस वक्त जोक्स जॉनी वॉकर से शुरू होकर जॉनी लीवर पर आकर खत्म हो जाते थे. उस वक्त स्टैंड अप कॉमेडी का कोई स्कोप नहीं था. इसलिए शुरू के दिनों में मुझे वह नहीं मिल सका जो मुझे चाहिए था.