ABC NEWS: साल था 1988, सिनेमाघरों से गली-मोहल्लों तक शहंशाह, कयामत से कयामत तक और तेजाब जैसी फिल्मों की बातें हो रही थी. वो दौर टिपिकल हीरो वाली फिल्मों का था, जिसमें लीड हीरो को देखने के लिए ही लोग …
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