ABC News: (रिपोर्ट: सुनील तिवारी) कानपुर के फूलबाग चौराहे के पास से अपहृत दो साल के बच्चे को पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया है. पुलिस ने अपहरणकर्ताओं से मुठभेड़ के बाद बच्चे को सकुशल बरामद किया है. मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली लगने से दोनों अपहरणकर्ता घायल हो गए. इसके अलावा पुलिस ने एक और महिला को भी गिरफ्तार किया है.
बताया जा रहा है कि पुलिस को इस बात की सूचना मिली थी कि अपहरणकर्ता भगवतदास घाट के आसपास हैं, इस पर पुलिस ने जब अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए जाल बिछाया तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में दोनों अपहरणकर्ताओं के पैर में गोली लगी. घायल अवस्था मेें दोनों अपहरणकर्ताओं को पकड़कर पुलिस ने उन्हें उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया. डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि मुठभेड़ में पकड़े गए अभियुक्त का नाम रज्जन और पंकज गुप्ता हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि रज्जन की बहन पूनम की शादी 2006 में आजमगढ़ में हुई थी. पूनम को शादी के बाद से बच्चा नहीं हो रहा था, जिसकी वजह से उसे सामाजिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही थी. इस बात को पूनम ने अपने पिता से बताते हुए किसी तरह एक बच्चा गोद दिलाने को कहा था. इसके बाद रज्जन ने यह बात अपने दोस्त पंकज गुप्ता से बताई थी. जिसके बाद तय हुआ था कि वह लोग बच्चे को उपलब्ध करा देंगे, इसके बदले पिता से जो रकम मिलेगी, वह लोग रख लेंगे. इसी के बाद 24 फरवरी को वह लोग फूलबाग के सामने से निकल रहे थे, तभी उनकी नजर दो साल के कार्तिक पर पड़ी थी. कार्तिक को अकेला देखकर दोनों ने उसका अपहरण कर लिया. इसके बाद बच्चे को रज्जन ने अपनी दूसरी बहन नीतू को दे दिया. बाद से बच्चे को पूनम को सुपुर्द कर दिया, इस बीच पूनम की तबीयत खराब हो गई और उसे किदवईनगर के एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां से पुलिस ने बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया. डीसीपी क्राइम ने बताया कि मामले में पूनम की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है कि उसे बच्चे के अपहरण के बारे में जानकारी थी कि नहीं.
600 कैमरों की जांच में खुला अपहरण का राज
फूलबाग चौराहे के पास से अपहृत दो साल के मासूम को सकुशल बरामद करने में ईस्ट जोन की पुलिस और क्राइम ब्रांच को जमकर दिमागी कसरत करनी पड़ी. इस दौरान पुलिस ने करीब 600 कैमरों की फुटेज को खंगाला. 600 कैमरों की जांच में एक ऐसा कैमरा मिला, जिसमें अपहरणकर्ताओं की सुपर स्पलेंडर बाइक की तस्वीर कैद हो गई. इस तस्वीर के सामने आने के बाद पुलिस ने बाइक के रजिस्ट्रेशन नंबर को निकाला और फिर एक-एक कड़ी जोड़कर अपहरणकर्ताओं तक पहुंच गई.
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में कई एंगल से जांच की. चूंकि बच्चे के परिवार की माली हालत काफी खराब थी. इसलिए फिरौती का कोई मामला सामने नहीं आ रहा था. इसके बाद परिवार की दुश्मनी के एंगल से भी जांच की गई लेकिन उसमें भी कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी,, जब अपहरणकर्ताओं को दबोचा गया तो सारे मामले की परत दर परत खुलती गई. डीसीपी क्राइम का कहना है कि इस मामले में पूनम से लेकर रज्जन के पिता रामभजन की भूमिका की जांच की जा रही है कि इन लोगों को बच्चे के अपहरण की बात पता थी कि नहीं. क्योंकि पुलिस की शुरूआती जांच में रामभजन और रज्जन के बीच पैसे के लेनदेन की भी बात सामने आ रही है. वहीं जब दो साल का मासूम अपने परिवार के पास पहुंचा तो उसके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. नौ दिन के बाद कार्तिक को अपने सामने देख रही उसकी मां को तो जैसे सारे संसार की खुशी मिल गई. बार बार वो अपने जिगर के टुकड़े को देखकर उसे दुलराती रही.