ABC News: अब जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई है कि लोगों को जो राहत तीन दिन में मिलती थी, अब 30 दिन से ज्यादा लगेंगे. सिर्फ 10 दिन के भीतर ही 2400 आवेदन लंबित हो चुके हैं. जो फाइल जांच के लिए गई उस पर रिपोर्ट लगकर आई ही नहीं. संयुक्त महा रजिस्ट्रार के निर्देश पर वर्ष 2020 में जारी किए गए शासनादेश को अब लागू कराया जा रहा है. नगर निगम में शुरू हुई नई व्यवस्था के कारण लोग चक्कर लगा रहे हैं. अफसर सीधे यही कह देते हैं कि सीएमओ के यहां से जांच रिपोर्ट आई ही नहीं.
दरअसल, जन्म और मृत्यु की तिथि से 30 दिन बाद से 1 साल के बीच सहायक रजिस्ट्रार के रूप में सीएमओ स्तर से जांच होगी और वही प्रमाण पत्र बनाने की अनुमति देंगे. 1 साल बाद किए जाने वाले आवेदनों की जांच डीएम स्तर से होगी. नई व्यवस्था के तहत प्रमाण पत्र बनाने का काम नगर निगम मुख्यालय से हटाकर जोनल कार्यालयों को सौंप दिया गया है. जोनल अधिकारी इसे लेकर इतना भयभीत और असमंजस में हैं कि 30 दिन के भीतर आने वाले आवेदनों को भी सीएमओ के यहां जांच के लिए भेज रहे हैं. नगर निगम के जन्म-मृत्यु कार्यालय में सन्नाटा पसरा है. जोनल कार्यालयों में भीड़ जुटने लगी है. नगर स्वास्थ्य अधिकारियों के पास इसका दायित्व रह ही नहीं गया. अब लोग दो सरकारी विभागों के चक्कर में पिस गए हैं.
नगर निगम के जोनल कार्यालय से लेकर सीएमओ कार्यालय तक की दौड़ करनी पड़ रही. पहले नगर निगम में तैनात नगर स्वास्थ्य अधिकारी की अनुमति पर प्रमाण पत्र बनते थे जो एसीएमओ स्तर के हैं. इससे लोगों को एक ही कार्यालय में जाने की जरूरत हुआ करती थी. अब दिक्कतें खड़ी हो गईं हैं. नई व्यवस्था के तहत सरकारी अस्पतालों जिन बच्चों का जन्म होगा या जिनकी मृत्यु होगी उनका प्रमाण पत्र अस्पताल द्वारा ही बनाया जाएगा. नगर निगम के पास से इसकी जिम्मेदारी छीन ली गई है. यहां तक कि आने वाले दिनों में निजी नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों को भी यह जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी. इसकी तैयारी भी चल रही है. नगर निगम के जोनल अधिकारी ही नर्सिंग होम संचालकों को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के पोर्टल की अपनी आईडी मुहैया कराएंगे. इसके निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं. अस्पतालों के लिए 21 दिन की मियाद रखी गई है. इस समयावधि में आवेदन पर कोई जांच नहीं होगी.
जांच के लिए किसकी-किसकी होगी जिम्मेदारी
1. घर पर पैदा हुए बच्चे या किसी की मौत की तस्दीक एएनएम और आशा बहू के जरिए होगी.
2. नगर निगम के जोनल अधिकारी पर यह निर्भर होगा कि 30 दिन के भीतर के आवेदनों की जांच कराएं या नहीं.
3. नगर स्वास्थ्य अधिकारी, जोनल स्वास्थ्य अधिकारी, सफाई नायक और सफाई निरीक्षकों को जांच का अधिकार नहीं.
4. अगर सफाई निरीक या सफाई नायक से जांच करानी है तो सीएमओ ही देंगे अनुमति.