ABC News: बदलती लाइफस्टाइल में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आम तौर पर सबसे ज्यादा लोग मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं. इसके अलावा बेरोजगारी, घरेलू कलह जैसी प्रवृत्तियां भी लोगों की आत्महत्या की वजह बन रही है. आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर के डॉक्टरों ने एक रिसर्च किया है. इस रिसर्च में उन्हें काफी सफलता भी मिली है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी का कहना है कि जो लोग आत्महत्या के बारे में सोचते हैं, उनको लेकर एक रिसर्च की गई है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों के मन में ऐसे विचार आ रहे थे, उन लोगों को केटामिन दवा दी गई. मरीजों को दवा देने का तरीका भी अलग था. आमतौर पर जिस तरह से मरीजों को दवा का सेवन कराया जाता है. उसे अलग हटकर इस कोर्स को करीब दो सप्ताह तक चलाया गया. डॉक्टर धनंजय चौधरी ने बताया कि केटामिन दवा का प्रयोग बेहोशी के लिए किया जाता था. लेकिन इस दवा का प्रयोग अब अवसाद ग्रस्त और खुदकुशी करने वाले लोगों पर किया गया तो काफी सफलता मिली.
उन्होंने बताया कि दवा को इंजेक्शन के जरिए न देकर एक ग्लास पानी में निर्धारित मात्रा मिलाकर दिया गया. उन्होंने बताया कि जब यह दवा धीरे-धीरे शरीर के अंदर जाती है तो नसों को काफी आराम मिलता है. जिन मरीजों पर यह कोर्स किया गया, बाद में उनसे जब बातचीत की गई तो उन्हें मन में आत्महत्या का विचार दोबारा नहीं आया. डॉ. चौधरी ने बताया कि इस तरह का प्रयोग विदेशों में किया जा रहा है. उन्होंने भी पांच से छह मरीजों पर इसका प्रयोग किया, जिसमें सफलता हाथ लगी है. इसमें मरीज को फिर न आत्महत्या का विचार आया बल्कि डिप्रेशन में भी लाभ मिला.