मुरारी बापू ने महाकाल के गर्भगृह में लुंगी और सिर पर सफेद कपड़ा बांध की पूजा, मचा बवाल

News

ABC NEWS: मध्य प्रदेश के उज्जैन में 5 अगस्त को एक दिवसीय रामकथा करने के लिए मुरारी बापू उज्जैन पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बाबा महाकाल के गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल का जलाभिषेक और पूजन किया था. गर्भगृह में जिस पहनावे को पहनकर मुरारी बापू मंदिर में गए थे उसको लेकर अब पुजारी महासंघ ने आपत्ति जताई है. अखिल भारतीय पुजारी महासंघ कहना है कि मुरारी बापू ने सर पर सफेद कपड़ा बांध, सफेद लूंगी पहनकर भगवान महाकाल गर्भ ग्रह में प्रवेश किया जो मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है. हम उनका विरोध नहीं कर रहे लेकिन यह बात संज्ञान में ला रहे हैं.

बताया जाता है कि मुरारी बापू उज्जैन में 5 अगस्त को महाकाल लोक के पास सरस्वती शिशु मंदिर में राम कथा सुनाने पहुंचे थे. उनके साथ उनके एक हजार अनुयागी भी साथ थे. मुरारी बापू अपनी विशेष ट्रेन से उज्जैन पहुचे थे. मुरारी बापू सावन में देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में रामकथा सुनाने निकले हैं. बापू 12 हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगों पहुंचे थे. मोरारी बापू की यह यात्रा विशेष ट्रेन से ऋषिकेश से शुरू हुई थी.

इसमें विश्वनाथ, मलिक्कार्जुन, बैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम, भीमाशंकर, ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्रयंबकेश्वर, महाकालेश्वर और सोमनाथ ज्योर्तिलिगों तक की यात्रा शामिल है. अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा की महाकाल उज्जैन के राजा हैं. महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में जाने की एक अलग व्यवस्था है. जिस तरह मस्जिदों में टोपी का नियम है, गुरुद्वारे में सिर पर पगड़ी का नियम है, उसी गर्भगृह में महाकाल के सामने कभी भी सिर पर कपड़ा या पगड़ी बांधकर नहीं जाया जाता है.

भक्त धोती और सोला पहनकर ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं. बापू ने लुंगी और सिर पर कफन बांध रखा था। गर्भगृह में किसी प्रकार का चमड़ा, बेल्ट, पर्स, टोपी, हथियार लेकर प्रवेश पर प्रतिबंध है. महाकालेश्वर प्रबंध समिति के जिम्मेदारों को मंदिर की इस परंपरा के बारे में मोरारी बापू को जानकारी देनी चाहिए थी ताकि वे नियम का पालन करते.

इस मामले में जब मुरारी बापू से बात की गई तो उन्होंने कहा की 12 ज्योतिर्लिंग यात्रा के दौरान तिरुपति बालाजी के दर्शन हुए. मैंने तिरुपति परंपराओं के अनुसार, मंदिर में अपना सिर मुंडवाया और उसके बाद गुजराती पगड़ी पहनी. मेरे दादा, पिता और आगे की पीढ़ियों ने यह गुजराती विशिष्ट पगड़ी पहनी है. यह पारंपरिक सौराष्ट्र पोशाक का एक हिस्सा है.

खबरों से जुड़े लेटेस्ट अपडेट लगातार हासिल करने के लिए आप हमें  Facebook, Twitter, Instagram पर भी ज्वॉइन कर सकते हैं … Facebook-ABC News 24 x 7 , Twitter- Abcnews.media Instagramwww.abcnews.media

You can watch us on :  SITI-85,  DEN-157,  DIGIWAY-157


For more news you can login- www.abcnews.media