मां लक्ष्मी का उल्लू और भगवान विष्णु के गरुड़ आखिर कैसे बने वाहन, जानें क्या है महत्व

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ABC NEWS: सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है. बाकी देवी-देवताओं की तरह मां लक्ष्मी का भी एक प्रिय वाहन है और वह है उल्लू. मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी उल्लू की सवारी करती हैं. हालांकि, मौजूदा समय में उल्लू को बेवकूफ माना जाता है. यही वजह है कि लोग किसी इंसान की वेबकूफी के लिए उसे उल्लू नाम से बुलाते हैं. लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है. जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि उल्लू एक बेहद ही चालाक और बुद्धिमान पक्षी है और इसे बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है.

मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही क्यों चुना अपना वाहन

कई लोगों के मन में ऐसे सवाल उठते हैं कि आखिर मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही अपना वाहन क्यों चुना? इस सवाल का जवाब पाने से पहले आपको ये जानना चाहिए कि सभी देवी-देवताओं के वाहनों का अपना-अपना खास महत्व है. इसी क्रम में उल्लू को अपना वाहन चुनने के पीछे भी एक खास वजह है. ऐसी मान्यताएं हैं कि मां लक्ष्मी भी शाम ढलने के बाद ही किसी घर में प्रवेश करती हैं.

इसलिए कहा जाता है कि शाम ढलने से पहले घर-दुकान में झाड़ू लगाकर साफ-सफाई कर लेनी चाहिए और अंधेरा ढलने पर घरों या दुकानों में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, उल्लू दिन में ठीक से नहीं देख सकता जबकि अंधकार में वह इंसानों के मुकाबले काफी साफ देख सकता है. इसके अलावा उल्लू बुद्धिमत्ता के साथ-साथ शुभ समय और धन-संपत्ति का भी प्रतीक माना जाता है. इस हिसाब से माता लक्ष्मी और उनके वाहन उल्लू का साथ बिल्कुल परफेक्ट बैठता है.

भगवान विष्णु की दिव्यता को देखते हुए गरुड़ सर्वश्रेष्ठ

मां लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु गरुड़ की सवारी करते हैं. सनातन धर्म में गरुड़ को काफी शुभ माना जाता है. सुनहरे रंग और बड़े आकार के गरुड़ दिव्य शक्तियों और अधिकार के प्रतीक माने जाते हैं. गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. ऐसे में भगवान विष्णु की दिव्यता और हिंदू देवी-देवताओं में उनके पद को देखते हुए पक्षीराज गरुड़ उनके लिए सर्वश्रेष्ठ वाहन है.

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