ABC NEWS: सनातन धर्म में रोजाना पूजा-पाठ करने का बड़ा महत्व है. नियमित तौर पर पूजा करने के कई फायदे हैं. लेकिन पूजा का पूरा फल, भगवान की कृपा और सकारात्मकता तभी मिलती है, जब पूजा-पाठ नियम से की जाए. पूजा-पाठ में मंत्र जाप, पाठ आदि के साथ भोग का बड़ा महत्व होता है. यदि भोग सही तरीके से लगाया जाए तभी भगवान प्रसन्न होते हैं. वैसे भी हर देवी-देवता को पूजा के समय भोग लगाना और नैवेद्य अर्पित करना जरूरी होता है. साथ ही यह सही विधि से हो यह भी जरूरी है. आइए जानते हैं भोग लगाने का मंत्र और सही तरीका.
भोग लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान
भोग लगाने का मंत्र: भगवान को भोग लगाते समय भोग लगाने का मंत्र पढ़ना बहुत जरूरी है. माना जाता है कि भोग लगाने का मंत्र पढ़ने से ही भगवान भोग स्वीकार करते हैं. लिहाजा भोग लगाते समय इसका मंत्र – ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये. गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर…’ पढ़ें.
भगवान के सामने भोग कितनी देर रखें: भगवान को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि भोग कितनी देर तक भगवान के सामने रखें. धर्म-शास्त्रों के अनुसार भगवान के सामने से भोग तुरंत ना हटाएं, ना ही बहुत देर तक भोग को भगवान के मंदिर में रखा रहने दें. बेहतर यही है कि पूजा होने के बाद करीब 5 मिनट तक ही भोग को भगवान के सामने रखें. इसके बाद भोग को उठा लें और उसे प्रसाद के रूप में सभी लोग ग्रहण करें. घंटों तक भोग को मंदिर में ना रखा रहने दें इससे नकारात्मकता बढ़ती है.
भोग का बर्तन: भगवान को भोग लगाने का बर्तन सही होना बहुत जरूरी है. ध्यान रहे कि भगवान को नैवेद्य या भोग सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बने पात्र में रखकर ही अर्पित करें. पात्र की धातु शुद्ध होनी चाहिए. एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील, प्लास्टिक या कांच से बने बर्तन में भोग लगाने की गलती ना करें.
प्रसाद बांटने का तरीका: भोग लगाने के बाद प्रसाद ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटना बहुत शुभ होता है. साथ ही खुद भी प्रसाद जरूर ग्रहण करें. लेकिन प्रसाद बांटते समय ध्यान रखें कि भोग हमेशा सात्विक और स्वच्छ तरीके से बनाया जाए और वैसी ही पवित्रता से बांटा जाए. तभी भगवान मनोकामना पूरी करते हैं.