भगवान कृष्‍ण के कहने पर अर्जुन ने रखा था वरुथिनी एकादशी व्रत, जानें इस मई माह में कब है?

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ABC NEWS: वैशाख महीने के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. वरुथिनी एकादशी व्रत करने से भगवान विष्‍णु बहुत प्रसन्‍न होते हैं. चूंकि वैशाख मास में भगवान विष्‍णु और उनके अवतारों की पूजा की विशेष तौर पर की जाती है इसलिए वैशाख महीने की दोनों एकादशी भी बहुत अहम मानी गई हैं. ये एकादशी व्रत करने से जीवन में धन-वैभव, ऐश्‍वर्य बढ़ता है. साथ ही जीवन में सौभाग्‍य आता है. जब महाभारत काल में पांडव वन-वन भटक रहे थे और उनके जीवन में कई कष्‍ट थे, तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने अपने सखा अर्जुन से यह व्रत करने के लिए कहा था. इसके बाद महाभारत युद्ध हुआ और पांडवों को उनका खोया हुआ राज्‍य मिला. आइए जानते हैं इस साल वरुथिनी एकादशी कब है और यह व्रत रखने की विधि.

एकादशी तिथि

पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि वरुथिनी एकादशी तिथि का आरंभ 3 मई की रात 11 बजकर 24 मिनट से होगा और 4 मई की रात 8 बजकर 38 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्‍त होगी. उदयातिथि के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई को रखा जाएगा. वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह स्‍वरूप की पूजा की जाती है.

वरुथिनी एकादशी पर शुभ योग 

इस साल वरुथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्‍व और बढ़ गया है. साथ ही इन शुभ योगों में किए गए व्रत-पूजा का कई गुना ज्‍यादा फल मिलता है.

कन्‍यादान के मिलेगा पुण्‍य 

मान्‍यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत करने और इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्‍णु की पूजा करने से कन्‍यादान करने के समान पुण्‍य प्राप्‍त होता है. इतना ही नहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा मान्धाता को इस व्रत के प्रभाव से ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी.

वहीं आर्थिक तंगी दूर करके अपार धन पाने के लिए वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु के साथ माता लक्ष्‍मी की भी आराधना करें. इससे भगवान लक्ष्‍मीनारायण का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में बेशुमार धन, वैभव, ऐश्‍वर्य, सुख, सफलता, समृद्धि मिलती है.

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